गंगा महोत्सव
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गंगा महोत्सव की तीसरी निशा सुचरिता के सुरों और कबीर बैंड के सूफियाना गीतों के नाम रही। गंगा के समानांतर मुक्ताकाशीय मंच पर स्वर लहरियां गंगा की लहरों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही थीं। सुर, लय और ताल की त्रिवेणी के साथ श्रोता भी सुर से सुर मिला रहे थे। स्वरों के उतार चढ़ाव और बंदिशों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
शनिवार को तीसरी निशा की शुरुआत दक्षिण भारत के शास्त्री गायक प्रो. के शशि कुमार ने की। उन्होंने प्रथम प्रस्तुति गणेश महागणपतिम, फिर शिव स्तुति, गंगा स्तुति और पतित पावनी गंगे…से समापन किया। उनके साथ डाॅ. बी सत्तनर ने मृदंगम पर और वायलिन पर प्रशांत मिश्र ने संगत की। दूसरी प्रस्तुति सुचरिता दास गुप्ता के भजन गायन की रही। उन्होंने ठुमरी कौन गली गए श्याम, फिर दादरा में मोहन मुरली आवे, मन भावे समेत कई सुमधुर प्रस्तुतियां दीं। संगत कलाकारों में पं. ललित कुमार तबले पर और पं. पंकज कुमार ने हारमोनियम पर साथ दिया। तीसरी प्रस्तुति में स्नेहा अवस्थी ने हे भोले शंकर के बाद सत्यम शिवम सुंदरम, नगरी हो अयोध्या सी और राम आएंगे भजन की प्रस्तुति से घाट की सीढ़ी़यों पर बैठे संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया। उनके साथ संगत कलाकारों में की बोर्ड पर पिंकू बेदी,आक्टो पैड पर राकेश, तबले पर शशि और ढोलक पर अमित थे। इसके बाद रंजना उपाध्याय ने कथक नृत्य से समां बांध दिया। उन्होंने मां गंगा की स्तुति देवी सुरेश्वरी भगवती गंगे त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे… से आरंभ किया। तत्पश्चात ताल पक्ष के अंतर्गत तीनताल में लखनऊ घराने की परंपरागत आमद, उठान, परन आमद, तिहाई आदि की प्रस्तुति दी। इसके पश्चात द्रुत लय में टुकड़े, परन, तिहाईयां, गत निकास इत्यादि की प्रस्तुति की। अंत में उस्ताद राशिद खान की रचना सखी का से कहूं मोह लाज लगे… से किया। जिसके बाद पांचवीं प्रस्तुति शनिश ग्यावली समूह ने दी। अंत में मुंबई से आए नीरज आर्या कबीर कैफे ने कबीर के दोहे और रचना पर आधारित गीत गाकर लोगों को झूमाया। उन्होंने मतकर माया का अहंकार, क्या लेकर आया जगत में, मन लाग्यो मेरे यार फकीरी में, चदरिया झीनी रे झीनी… समेत अन्य फिल्मी गीतों की प्रस्तुति दी। ब्रिटो केसी ने इलेक्टि्रक गिटार, पीयूष आचार्य ने हारमोनियम पर, विक्रम ब्रह्मनकर ने ढोलक पर, विष्णुदास वायलिन पर, स्वप्निल तरफे बेस गिटार, वीरेंद्र सोलंकी ड्रम्स और लीड वोकल पर नीरज आर्या ने संगत की। वहीं राजेंद्र प्रसाद घाट पर भी सांगीतिक प्रस्तुतियां हुईं।