खेत में उगा रहीं ‘मटन’, लाखों के पैकेज वाली नौकरी भी इसके आगे फेल

 रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. किसानों और लोगो के बीच मशरूम की खेती की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है. पहले इसकी खेती को पहाड़ी क्षेत्रों के लिए ही उपयुक्त माना जाता था. अब नई और आधुनिक तकनीकें आने के बाद इसकी खेती मैदानी क्षेत्रों से लेकर घरों तक में भी करने लगे है. ऐसे ही हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सुदूरवर्ती अडरा गांव में महिलाओं के समूह के द्वारा बटन मशरूम की खेती की जाती है. कटकमदाग प्रखंड के अडरा गांव एक समय नक्सलियों का गढ़ माना जाता था.

मशरूम उगाने वाली किसान नगीना देवी ने कहा कि यह गांव नक्सल प्रभावित गांव था. नक्सली इलाके में घूमते रहते थे. सप्ताह में 2 से 3 दिन घरों में आकर जबरन खाना पकाने का आदेश दे देते थे. लेकिन, धीरे-धीरे क्षेत्र से नक्सली खत्म हो गए थे. इसके साथ ही यहां के लोग बाहर जाकर नए विधि सीखने लगे है. सराकारी और गैर सरकारी संस्थानों के द्वारा नए खेती को यहां आकर सीखाने लगे है. इसी क्रम में यहां आकर मशरूम की खेती भी सिखाया गया था. उन्होंने आगे कहा कि मशरूम की खेती की ट्रेनिंग के एक संस्थान के द्वारा करवाया गया था. इसके साथ ही बीज यदि भी उपलब्ध करवाया गया था. अभी 8 महिलाएं मिल कर सामूहिक रूप से मशरूम की खेती करती है. उपजे हुए मशरूम को स्थानीय बाजार में ले जाकर बेचते है जिससे अच्छा मुनाफा भी होता है.

500 किलो तक होता है उत्पादन
उन्होंने बताया कि अभी स्थानीय बाजार में मशरूम 200 रुपए किलो है. एक साल में लगभग 500 किलो की उपज हो जाती है. जिससे अच्छा मुनाफा हो जाता है. इससे परिवार चलाने में काफी मदद मिलता है. मशरुम की खेती में ज्यादा मेहनत नही करना पड़ता है. जिससे आसानी से मशरूम उगाया जा सकता है. इसके साथ ही मशरुम घर को बच्चों को खूब पसंद आता है.

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