खेत का पता नहीं, तालाब भी गुम, मछली से लखपति बना ये शख्स

रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. मछली पालन किसानों के लिए हमेशा से फायदे का सौदा रहा है. मछली पालन के क्षेत्र में जब से नई तकनीक का समावेशन शुरू हुआ है. तब से किसानों की आमदनी और भी बढ़ने लगी है. मछली पालन में बढ़ती कमाई को देखते हुए किसानों के अलावा और भी लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे है. ऐसा ही हजारीबाग के कदमा के रहने वाले विस्मय अलंकार ने अपने घर में बायोफोल्क के अंदर मछली पालन किया है. विस्मय अलंकार पेशे से पत्रकार है.

मछली पालन करने वाले विस्मय अलंकार ने कहा कि उन्हें बचपन से ही खेती किसानी और पर्यावरण से प्रेम रहा है. कोरोना महामारी के दौर में जब पूरी दुनिया घर में बंद हो चुकी थी. उसी समय उनका रुझान मछली पालन की ओर और भी बढ़ने लगा. तालाब नही होने कर कारण से उन्होंने सर्वप्रथम अपने घर की छत पर मछली पालन के बायोफोल्क का निर्माण स्वयं किया था.

कैट फिश का करते है पालन
उन्होंने आगे बताया कि पहले टैंक में सफलता पाने के बाद प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, उन्होंने अपने घर के पीछे की खाली पड़ी जमीन में 25 बायोफॉल्क टैंक लगवाया है. इस योजना के तहत सरकार के द्वारा 40 से लेकर 60 तक की सब्सिडी मिल जाती है. सभी टैंक में कैटफिश के कई प्रजाति जैसे लोकल मांगुर, सिंघी और तलपिया का पालन करते है. उन्होंने बताया है कि बायोफोल्क के हाइब्रिड मांगुर काफी तेजी से बढ़ता है. लेकिन भारत सरकार के द्वारा यह मछली का पालन करना प्रतिबंधित है.

इतना का होता है उत्पादन
उन्होंने बताया कि एक टैंक को बनाने में लगभग 30 से 40000 का खर्च आता है. जिसमें भारत सरकार के द्वारा 40 से 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है. मत्स्य पालन में मछली के भोजन और उम्र से उनके साइज का बढ़ता है. अगर मछली को 6 महीने तक टैंक में रखा जाए तो आसानी से 500 ग्राम तक की हो जायेगी. अभी एक टैंक में लगभग 40 से 50 किलो तक मछली है. अगर इन मछलियों का पालन अच्छे से किया जाए तो 1 क्विंटल से दो क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है. अभी सारे टैंक को जोड़कर लगभग एक से डेढ़ टन मछली उत्पादन होने का अनुमान है. अभी बाजार में इन मछलियों की कीमत 160 से 180 रुपए किलो तक चल रहा है.

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