कुंदन कुमार/गया. समेकित कृषि प्रणाली खेती की आधुनिक तकनीक है और इस तकनीक में खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन, मछली पालन को बढ़ावा दिया जाता है. इन्हें इस तरह समायोजन किया जाता है कि ये सभी एक-दूसरे के पूरक बनकर किसान को लगातार आमदनी देते हैं. गया जिले में एक ऐसे ही युवा किसान है जो समेकित खेती के जरिए मालामाल हो रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के पदुमचक गांव के रहने वाले रवि रंजन की. रवि रंजन की उम्र महज 22 वर्ष है. यह पिछले 4 साल से समेकित कृषि प्रणाली से जुड़े हुए हैं.
समेकित कृषि प्रणाली में रवि रंजन मछलीपालन के अलावे पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन और जैविक खेती करते हैं. मुर्गियों के बीट को तालाब में मछलियों के चारा के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जबकि जानवरों के गोबर को जैविक खेती में इस्तेमाल करते हैं. इनका सारा व्यवसाय एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. इस तकनीक के जरिए रवि रंजन को अच्छी आमदनी हो रही है. तीन कट्ठे के तालाब से लगभग 2-3 क्विंटल मछली का उत्पादन होता है, जबकि 1200 स्क्वायर फीट के टैंक कल्चर मे 7-8 क्विंटल मछली का उत्पादन होता है.
बकरी, गाय, मुर्गी के साथ मछली पालन भी
रवि रंजन के पास 1 हजार क्षमता का मुर्गी शेड है. जिसमें इन्हें 1200 किलो का प्रोडक्शन होता है. इनके पास बरबरी प्रजाति का बकरी और दो देसी नस्ल की गाय भी मौजूद हैं. जानवर के गोबर को जैविक खाद के रुप मे इस्तेमाल करते है, जबकि दूध को होटल मे बेचते हैं. सभी व्यवसाय को मिलाकर रवि रंजन को महीने में 40 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है. इसके अलावे रवि रंजन को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभ दिया गया है. जिसमें इन्हें 7 लाख 50 हजार रुपए के योजना में 40% की सब्सिडी दी गई है. इस योजना के तहत एक्वा फिल्टर के जरिए बड़े पैमाने पर तकनीक का इस्तेमाल करके मछली पालन कर सकेंगे.
जिले में है नाम
इतनी कम उम्र में समेकित खेती कर रवि रंजन गया जिले में एक अलग पहचान बना रहे हैं. गया और आसपास के जिले के लोग अगर मछली, मुर्गी या बकरी खरीदना चाहते हैं तो रवि रंजन से 6207962398 संपर्क कर सकते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए रवि रंजन बताते हैं कि जब नौवीं दसवीं क्लास में पढ़ रहे थे तभी उन्हें कृषि संबंधित व्यवसाय करने का विचार आया था. उसके बाद प्रखंड स्तर से समेकित कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया और मछली पालन से इस व्यवसाय को शुरू किया. मछली पालन के बाद मुर्गी पालन, बकरी पालन, और फिर गाय पालन कर रहे हैं. घर में ही 1200 स्क्वायर फीट में पक्का टैंक बनाकर टैंक कल्चर के माध्यम से जासर मछली का पालन कर रहे हैं.
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Tags: Agriculture, Local18
FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 09:48 IST