मो. सरफराज आलम/सहरसा. पुराने दौर में हर घर में खटिया का चलन हुआ करता था. लेकिन आधुनिकता के कारण धीरे-धीरे खटिया का चलन दूर होता चला गया. हालांकि अब भी गांव कस्बे में अधिकांश लोग खटिया का इस्तेमाल जरूर करते हैं. लेकिन अब सहरसा शहरी इलाके में भी इसकी डिमांड खूब होने लगी है. तभी तो उत्तर प्रदेश से आकर व्यापारी सहरसा में स्टॉल लगाकर किफायती दर पर सुंदर डिजाइनों का खटिया बेचते हैं.
उत्तर प्रदेश से आए व्यापारियों की मानें तो धीरे-धीरे लोग खटिया की डिमांड करने लगे हैं. व्यापारी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से ही लोहे के फ्रेम का खटिया तैयार कर सहरसा लाकर उसे बेचते हैं. वह भी लोगों के बजट में होती है. इसके साथ-साथ पानीपत की दरी, चादर के अलावा सुंदर और आकर्षक डिजाइन का तकिया बेचते हैं. हालांकि ठंड के मौसम में ये लोग पानीपत का कंबल भी बेचते हैं.
उत्तर प्रदेश से आए व्यापारी रेहान अली बताते हैं कि उनके साथ तीन से चार युवक हैं, जो सहरसा कमिश्नरी ऑफिस के सामने संजय गांधी पार्क के ठीक बगल में खटिया के साथ-साथ चादर, दरी, तकिया, झूला का स्टॉल लगाते हैं. ये सामान लोगों को भी खूब पसंद आता है. अच्छी क्वॉलिटी के साथ लोगों के बजट के हिसाब से सारा सामान रखा हुआ है. अभी खटिया की डिमांड खूब हो रही है. लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं. वे कहते हैं कि पुराने दौर में खटिया की डिमांड खूब होती थी. इसका चलन भी खूब था. लेकिन अब फिर से हर इलाके में लोग खटिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. वे बताते हैं कि 2500 रुपए में लोहे के फ्रेम के साथ फोल्डिंग वाली खटिया हमलोग रखते हैं.
.
FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 12:57 IST