खूबसूरत मोरों के बीच मनाएं नया साल, खाने के साथ रात में ठहरने की भी है सुविधा

शशिकांत ओझा/पलामू. नया साल आने में ज्यादा समय नहीं बचा है. सेलिब्रेशन के लिए पर्यटक नई-नई जगह की चलाश कर रहे हैं. ठंड के मौसम में लोगों को जंगली जानवर, पेड़ पौधे, जंगल पहाड़ खूब लुभाता है. पलामू टाइगर रिजर्व में ऐसी कई जगह हैं, जहां पर्यटक घूमने आते हैं. वहीं जंगली जानवरों के बीच सैलानियों के ठहरने हेतु पलामू टाइगर रिजर्व द्वारा खास व्यवस्था की गई है. जहां लोगों को अपने कमरे से मोर दिख जाते हैं.

अगर आप घने जंगलों के बीच में रात बिताना और जानवरों के आवाज भी सुनना चाहते हैं तो पलामू टाइगर रिजर्व में बक्सा मोड़ पर से चार किलोमीटर दूर बक्सा मोड़ पर मड हाउस और ट्री हाउस स्थित है. जहां ठहरने और खाने पीने की सुविधा बनाई गई है. यहां ठहरने हेतु आपको वन विभाग से परमिशन लेनी पड़ेगी, जो जंगलों के बीचों बीच आपको एडवेंचर का अनुभव करता है. यहां वन विभाग द्वारा सैलानियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. यहां सैलानियों को नाचते और पंख फैलाए मोर देखने को मिलते हैं.

इस प्रकार करें रूम की बुकिंग
टेकर गार्ड रामनंदन सिंह ने बताया कि बेतला नेशनल पार्क के जंगल में मड हाउस और ट्री हाउस बनाया गया है, जो कि बेतला नेशनल पार्क से चार किलोमीटर दूर है. इसकी बुकिंग के लिए आपको पलामू टाइगर रिजर्व के ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं. इस डबल बेड के हाउस में 24 घंटे ठहरने का रेट 2000 रुपए है. वहीं ट्री हाउस का रेट 3000 रुपए है.- वहीं खाने पीने के लिए यहां कैंटीन की भी सुविधा है. जहां सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक वेज और नॉन वेज व्यंजन मिलता है. वेज थाली 150 रुपए प्लेट और नॉन वेज थाली 200 रुपए प्लेट उपलब्ध है.

कमरे से दिखेंगे नाचते मोर
बता दें कि भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है, जो अद्भुत सौंदर्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. बरसात के मौसम में काली घटा छाती है तो मोर पंख फैला कर नाचते है. मोर के अद्भित सौंदय के चलते भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 1963 को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया. मोर को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. जिसका नजारा आपको बेतला के मोर पार्क के जंगलों में देखने को मिलता है. मड हाउस के कमरे से आप मोर को देख सकते हैं. इसके अलावा जंगली जानवरों की आवाज भी देखने सुनने को मिलती है .यहां एक वॉच टॉवर भी है. यहां आने के लिए दुबीयाखांड से बेतला से होते हुए आना पड़ता है, जो कि बेतला नेशनल पार्क से महुआडांड रास्ते में चार किलोमीटर दूर है.

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