खास है बिहार का यह भुजावाला, चटपटा भुजा के साथ लोगों का टेंशन करता है दूर

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया:- आजकल लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए कुछ नया करते हैं. पूर्णिया में भी एक भुजावाला आजकल खूब सुर्खियां बटोर रहा है. वह टेस्टी भुजा बेचने के साथ अपने ग्राहकों को गाना भी गाकर सुनाता है. पूर्णिया के बीकोठी प्रखंड के रहने वाले दिलखुश राज कहते हैं कि वह पिछले 10 सालों से पूर्णिया में जगह-जगह घूम कर भुजा खिला रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई सालों से पूर्णिया सदर अस्पताल के गेट पर वह लोगों को भुजा खिलाता था. लेकिन बिक्री थोड़ी कम होने के कारण अब अस्पताल के अंदर ही घूम-घूम कर वह भुजा खिलाते हैंं. इसके साथ ही लोगों को गाना गाकर भी सुनाते हैं.

पहले ट्रेन में बेचते थे पानी, अब खिला रहे हैं भुजा
दिलखुश राज कहते हैं कि वह पढ़ाई करने में भी ठीक-ठाक थे. लेकिन मजबूरी और परिवार की आर्थिक समस्या ने उसे इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. पढ़ाई के दौरान पिता बीमार रहने लगे और परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. सबसे पहले उसने ट्रेन में पानी बेचने का काम किया, लेकिन मुनाफा नहीं होने से धंधा बदल दिया और फिर भुजा खिलाने की शुरुआत की. दिलखुश राज कहते हैं कि वह गाना सुनात् हैं और लोगों को भुजा खिलाते हैं. यहांआदमी थके हारे, भूखे-प्यासे रहकर इलाज कराने आते हैं, लोग टेंशन में रहते हैं, लेकिन उनकी टेंशन यह भुजावाला दूर कर देता है. लोगों का 50% टेंशन कम हो जाता है और वो हंसी-खुशी भुजा खाते हैं. जिन लाचार लोग के पास पैसे नहीं होते, उन्हें वह मुफ्त में भुजा खिलाते हैं.

ग्राहकों ने की खूब तारीफ
भुजा खाने आए ग्राहक नयन कुमार, सुमित कुमार, नईम, आसिफ, रोहित सहित अन्य कई ग्राहकों ने कहा कि उनका खूब मनोरंजन हो जाता है. साथ ही साथ वहां पर छोटे बच्चों ने कहा कि उनके भुजे का खूब अच्छा स्वाद होता है, गाना भी मुफ्त में सुनने को मिल जाता है. जिससे ग्राहक भी भुजा खाकर उनकी तारीफ जरूर करते हैं. उन्होंने कहा रोजाना दोपहर से लेकर शाम तक घूम-घूम कर वो अपनी दुकान चलाते हैं.

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स्वाद मजेदार होने के कारण रोजाना 800 तक करता बिक्री
दिलखुश राज झाल मुढ़ी बेचते हैं. भुजा बनाने  में काला नमक, मूंगफली, नमक, मिर्च, हल्दी, अदरक,धनिया, चुरा,आचार का तेल,आलू के टुकड़े व 13 मसाला, अचार, कुर्सेला दालमोट सहित अन्य चीजों को मिलाकर स्वादिष्ट भुजा बनाते हैं. उन्होंने कहा स्वाद के कारण और मनोरंजन के साथ रोजाना कि 600 से 800 तक भुजा बेच लेते हैं. उन्होंने अपना घर का पता बताया इस तरह टूटी-फूटी शायरी में बताया. टुटी झोपड़ी और ऊंची है मुकाम, बरहरा कोठी का भुजा वाला दिलखुश राज उसका नाम. उन्होंने कहा वह किराए पर ही पूर्णिया में रहकर अपने परिवार का बोझ उठाने के लिए गाना गाकर भुजा खिलाते हैं.

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