25 मिनट पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा
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इन तीन तस्वीरों में कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो और उनकी पूर्व पत्नी सोफिया जसपाल अटवाल के साथ मौजूद हैं। अटवाल 1986 में पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर पर जानलेवा हमला करने का दोषी पाया गया था।
भारत और कनाडा की सरकारों के बीच इस समय जबरदस्त तनाव है। कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के आरोप लगाए। भारत सरकार ने इससे इनकार किया। फिर बात बिगड़ती गई और इंडियन एंबेसी ने कनाडा के नागरिकों को वीजा देना बंद कर दिया।
इधर भारत ने कहा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। ट्रूडो सरकार को लगातार इस बारे में जानकारी देने के बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं। ऐसे में सवाल यही है कि कनाडा में खालिस्तान मूवमेंट को सरकार के समर्थन की वजह क्या है। आखिर क्यों एक खालिस्तान समर्थक की मौत दो देशों के बीच तनाव की वजह बनी हुई है।
इसकी पड़ताल करने के लिए हमें 8 साल पहले जाना होगा। जस्टिन ट्रूडो पहली बार नवंबर 2015 से 2019 तक और दूसरी बार नवंबर 2019 से अगस्त 2021 तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। दोनों बार PM रहते हुए ट्रूडो सरकार खालिस्तानी खतरे को लेकर खुद बेहद सजग रहती थी।
कनाडा का खुफिया विभाग 2021 तक खालिस्तानी गतिविधियों पर लगातार नजर रखता था। हालात तब बदले जब सितंबर 2021 में हुए चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को बहुमत नहीं मिला और सरकार बनाने के लिए उन्हें जगमीत सिंह की अगुआई वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन लेना पड़ा। सिंह को कनाडा में प्रो-खालिस्तानी नेता माना जाता है।

ये तस्वीर मई 2015 की है। इसमें पंजाब के कैबिनेट मंत्री पर जानलेवा हमले का दोषी जसपाल अटवाल कनाडा के PM ट्रूडो के साथ मौजूद है। दोनों की ये तस्वीर साउथ एशियन मीडिया राउंड-टेबल प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त ली गई थी। (क्रेडिट- CBC न्यूज)
खालिस्तानियों को लेकर कनाडा के रुख को 2018 के इस किस्से से समझिए…
2018 में भारत के दौरे पर आए थे PM ट्रूडो
कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो 17-24 फरवरी 2018 तक भारत दौरे पर आए थे। भास्कर को मिले एक कनाडाई सरकारी दस्तावेज के मुताबिक, जून 2017 और जनवरी 2018 में कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा और इंटेलिजेंस सलाहकार (NSIA) के कार्यालय ने ट्रूडो को खालिस्तानी आतंकवादियों और संगठनों से जुड़े खतरे के बारे में ब्रीफिंग दी थी।
इसका फोकस इस बात पर था कि ट्रूडो सरकार कैसे खालिस्तानी आतंकवादियों और उनसे जुड़े संगठनों पर लगाम लगा रही है। ट्रूडो को ब्रीफ करने के बाद, NSIA ने उनके कहने पर 7 फरवरी 2018 को कनाडा के तत्कालीन रक्षा मंत्री और बाकी पांच और मंत्रियों को भी खलिस्तान से जुड़े मुद्दों पर ब्रीफिंग दी। ये सभी भारत के दौरे पर ट्रूडो के साथ आए थे।
भारत दौरे पर आए कनाडाई नेताओं को सिख उग्रवाद पर ब्रीफ किया
इसके बाद NSIA ने 13 फरवरी को इंटेलिजेंस एजेंसी कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विसेज (CSIS) और 12 मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट, को भी ‘कनाडा में सिख उग्रवाद’ के मुद्दे पर ब्रीफ किया। इसके 96 घंटे बाद ये सभी ट्रूडो के साथ भारत आए थे।
भास्कर को मिला दस्तावेज, एक कनाडाई पार्ल्यामेंट्री कमिटी की रिपोर्ट का हिस्सा है, जो अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री ऑफिस को पेश की गई थी। ये 11 सदस्यीय पार्ल्यामेंट्री कमिटी ट्रूडो के फरवरी 2018 के भारत दौरे में खालिस्तानी संगठनों के दखल की जांच करने के लिए बनाई गई थी।
तस्वीर 2018 की है। मुंबई इवेंट के बाद कनाडा के हाई कमीशन ने अटवाल को दिल्ली में ट्रूडो के ऑफिशियल डिनर के लिए भी न्योता दिया था। हालांकि, मामला खुलने के बाद ट्रूडो ने इनवाइट वापस ले लिया था।
ट्रूडो के इवेंट में पहुंचा पंजाब के नेता पर जानलेवा हमले का दोषी
दरअसल, ट्रू़डो के भारत दौरे के वक्त मुंबई में एक बिजनेस और कल्चरल इवेंट रखा गया था। इसमें ट्रूडो भी अपनी पूर्व पत्नी सोफिया के साथ शामिल हुए थे। इस इवेंट में जसपाल अटवाल नाम का एक कनाडाई नागरिक भी पहुंचा था, जिसकी फोटो इंडियन मीडिया में आ गई थी। अटवाल पर 1986 में पंजाब के एक कांग्रेस नेता पर जानलेवा हमला करने का दोष था और वह खालिस्तानी संगठनों के काफी करीब था।
जब इस पर सवाल उठना शुरू हुए कि कैसे एक खालिस्तानी संगठन से जुड़ा व्यक्ति जिसपर मर्डर का आरोप है, ट्रूडो के प्रोग्राम में आ गया, तो कनाडाई खुफिया एजेंसियों ने अपनी गलती का ठीकरा भारत की खुफिया एजेंसी पर मढ़ था। उन्होंने कहा था कि भारत ट्रूडो को खालिस्तानी संगठनों से जोड़ना चाहता है और इसलिए यह पूरा खेल रचा गया था।

तस्वीर 2018 में मुंबई में हुए एक बिजनेस और कल्चरल इवेंट की है। इसमें PM ट्रूडो अपनी पत्नी (जिनसे अब तलाक हो चुका है) के साथ पहुंचे थे। ट्रूडो की पत्नी ने जसपाल अटवाल के साथ तस्वीर खिंचवाई थी।
कनाडा के PM ऑफिस ने गेस्ट लिस्ट पर मुहर लगाई थी
हालांकि, बाद में यह साबित हुआ कि गेस्ट लिस्ट और पूरे इवेंट की सुरक्षा की जिम्मेदारी कनाडाई सरकार और भारत में कनाडाई हाई कमीशन ने संभाली थी। इसमें भारतीय अधिकारियों का कोई हाथ नहीं था। इसके बाद ये रिपोर्ट भी आई थी कि अटवाल को कनाडा के एक MP रणदीप सराई ने मुम्बई इवेंट में आने का न्योता दिया था। रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि गेस्ट लिस्ट पर कनाडा के PM ऑफिस ने ही अंतिम मुहर लगाई थी।
इस पूरी घटना के वक्त कनाडा के NSIA डेनियल जीन थे। जब इस बात का खुलासा हुआ कि जीन ने कनाडाई मीडिया में गलत खबर फैलाई, तब उन्होंने मई 2022 में इस्तीफा दे दिया था। पार्ल्यामेंट्री दस्तावेज के मुताबिक, जीन एक अहम हिस्सा थे। ट्रूडो के भारत दौरे की तैयारी से लेकर उनके पास सिख उपद्रवियों से जुड़े खतरों को लेकर खुफिया जानकारी थी।
कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि जांच के दौरान उन्होंने कई सारे सरकारी दस्तावेज देखे, जो 2017 और 2018 के दौरान लिखे गए थे। इसमें कनाडा में ‘सिख उग्रवाद’ के बारे में विस्तार से बताया गया है।

ये तस्वीर 2013 की है। इसमें अटवाल (बाएं) ट्रूडो के साथ तस्वीर खिंचवा रहा है। उसने ये फोटो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट की थी, जिसे कनाडाई मीडिया CBC ने 2018 में शेयर किया था।
भारत ने कनाडा के सामने कई बार रखा खालिस्तान का मुद्दा
कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि कैसे भारत खालिस्तान से जुड़े मुद्दे को बार-बार कनाडा के सामने रख रहा था। यह बातें कमिटी ने इसलिए लिखीं ताकि यह बाहर लाया जा सके कि खालिस्तान का मुद्दा दोनों देशों के लिए एक बहुत बड़ा सिक्योरिटी कन्सर्न था। कमिटी ने 50 पेज की ये रिपोर्ट बनाने से पहले 2400 पेज के सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स और इंटेलिजेंस इनपुट्स को स्टडी किया था।
रिपोर्ट के काफी सारे खुलासों को छिपा दिया गया, जिससे दूसरे देशों से कनाडा के रिश्ते खराब न हों। हालांकि, इससे ये साबित होता है कि 2018 तक कनाडा की सरकार और उसकी सुरक्षा से जुड़े ससठन खालिस्तानी आतंकवाद को लेकर काफी चिंतित थी।