खाड़ी देशों में करते थे काम, वापस लौटे तो बदल गई जिंदगी! अब हर साल कमा रहे हैं लाखों

रजनीश यादव/प्रयागराज: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती… इसी तरह की एक कोशिश मेजा के जिज्ञासु मिश्रा ने की है.वह अपने अथक परिश्रम से पत्थर में भी गुलाब उगा दिए. इसके लिए इजरायली तकनीक का सहायता लेकर मेजा विकासखंड के हरवारी लखापुर गांव के जिज्ञासु मिश्रा 4 एकड़ खेत में गुलाब की खेती कर रहे हैं. इसकी बदौलत हर साल लाखों की कमाई कर रहे हैं.

जिज्ञासु मिश्रा पहले खाड़ी देशों में तेल निकालने वाली कंपनी में काम करते थे. लेकिन वहां से देश वापस लौटे और किसानी में लग गए. इसके बाद 4 एकड़ खेत में पॉलीहाउस तकनीक का प्रयोग कर गुलाब की खेती करना शुरू किया. आज वह प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक गुलाब भेज रहे हैं. जिसके जरिये लाखों की कमाई भी कर रहे हैं. इसके अलावा लोकल मंडी में भी इनके गुलाब जाते हैं.

कितना होता है गुलाब का रेट
लगन के समय गुलाब के दाम में इजाफा हो जाता है. साथ ही जनवरी-फरवरी माह में प्रति गुलाब 10 से 12 रुपये हो जाते हैं. इस समय ऑफसीजन चल रहा है फिर भी ₹7 तक प्रति गुलाब बिक रहे हैं. जिज्ञासु मिश्रा बताते हैं कि फरवरी माह में प्रेम सप्ताह की वजह से हमारे यहां के गुलाब की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. हमारे यहां कई रंगों के गुलाब होते हैं.

क्या है पॉलीहाउस तकनीक?
पॉलीहाउस स्टील की चादर से सामने की तरह बना होता है.जिसके ऊपर प्लास्टिक का चादर चढ़ा जाता है.पाली हाउस तापमान को नियंत्रित करने ,उचित मात्रा में खाद को पौधे तक पहुंचाने, सिंचाई के लिए कम पानी की खपत आदि को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. इस तकनीक का आविष्कार इजराइल में हुआ है. इजराइल में रेतीली पथरीली जमीन होने से वहां के किसान पॉलीहाउस का प्रयोग बड़ी संख्या में करते हैं. इसका चलन भारत में भी बढ़ रहा है.

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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 10:05 IST

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