सौरभ वर्मा/रायबरेली. पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मिलेट उत्पाद को बढ़ावा देने कि कड़ी में रायबरेली के किसान अहम भूमिका निभा रहे हैं. पीएम मोदी की पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया में मिलेट अनाज उत्पादन के लिए 2023 में प्रत्येक देश को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. इसी कड़ी में भारत इस मुहिम में प्रमुख भूमिका निभा रहा है. मिलेट वैसे तो अंग्रेजी का शब्द है जो बाजरा के लिए इस्तेमाल होता है लेकिन सभी मोटे अनाज जो छोटे बीज होते हैं. वह मिलेट की श्रेणी में ही आते हैं.
इसी के तहत सांवा, कोदो, ज्वार, बाजरा व मक्का जैसे अनाज इसी श्रेणी में आते हैं. पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए जिले का यह किसान अहम भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं रायबरेली जनपद के बछरावां क्षेत्र के राजामऊ गांव के प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्र की जो बीते लगभग 5 वर्षों से मिलेट्स की खेती कर पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. साथ ही वह इससे कम लागत में अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के किसानों से ली जानकारी
किसान सत्य प्रकाश मिश्रा के मुताबिक उन्होंने मिलेट्स के बारे में छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश राज्य के किसानों से मिलकर इसकी जानकारी ली. क्योंकि वहां के किसान पहले से इसकी खेती कर रहे थे तो उनसे मिलकर खेती के तौर तरीके सीखे जिसके बाद यहां खेती शुरू की.उन्होंने बताया कि वह बीते वर्ष दरियापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के नेतृत्व में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट रिसर्च सेंटर तेलंगाना में 6 दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण के लिए गए हुए थे. वहां से उन्होंने इस खेती के बारे में तकनीकी जानकारी भी हासिल की है.
पीएम मोदी के सपने को कर रहे साकार
किसान सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि वो तीन एकड़ जमीन में देश में मिलने वाले सभी नौ प्रकार के मिलेट्स रागी, कोदो, काकुन, कंगनी(सवई) हरी कंगनी, चेना, बाजरी, बाजरा कांटे वाला, बाजार सिट्टेवाला की खेती कर रहे हैं. जिससे वह कम लागत 20 से 25 हजार रुपए की लागत में सालाना 1लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई भी कर लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2023, 09:35 IST