दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम : नर्मदापुरम जिले में इसराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध का असर देखने को मिल रहा है. नर्मदा पुरम जिले के किसानों को इस युद्ध के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है. जिले के किसानों ने सैकड़ो क्विंटल धान घरों में स्टॉक कर रखी है. कारण यह है कि राइस मिलों का कारोबार प्रभावित के कारण 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक धान के दाम गिरे हैं. जिससे किसानों ने अपनी फसल को घर में ही रख लिया है. अब दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. जिले में धान उत्पादक किसान और राइज मिलों की स्थिति ठीक नहीं है.
इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध होने के कारण जहाजों ने चावल का निर्यात बंद कर दिया है. इससे जिले की दर्जनों राइस मिलों को नुकसान हो रहा है. इससे किसान और व्यापारी दोनों ही परेशान है. प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 2 लाख 35 हजार हेक्टेयर में धान की पैदावार हुई है. बारिश अच्छी के कारण 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ है. मंडियों में धान के दाम पहले तीन माह तक 4500 रुपए प्रति क्विंटल थे. इजराइल और हमास के बीच युद्ध के कारण लाल सागर से चावल का निर्यात करने वाले जहाजों का आवागमन बंद हो गया है.
चावल का निर्यात बंद
परेशान कारखाना मालिकों ने कृषि मंडियों और किसानों से धान खरीदना लगभग बंद कर दिया है. नर्मदापुरम जिले की राइस मिलों से ईरान, ईराक, दुबई सहित यूरोपियन देशों में होने वाला चावक का निर्यात बंद हो गया है. इससे बासमती धान के दाम 4500 से गिरकर 3000 से 3400 रुपए प्रति क्विंटल हो गए. उचित दाम मिलने की आस में किसान घरों में सैकड़ों क्विंटल धान का स्टॉक लेकर बैठे हैं. किसानों से अब 4500 रुपए क्विंटल धान खरीदने तैयार नहीं है. जानकारी के अनुसार जिले से लगभग 25 राइस मिल है. इन मिलों से चावल अरब और यूरेपियन देशों में भेजा जाता है. निर्यात बंद होने के कारण राइस मिलों में गुजरात बंदरगाह जाने वाला चावल कारखानों में पड़ा हुआ है.
चावल का बाजार गिरने से परेशान व्यापारी
संचालक सांवरिया राइस मिल इटारसी के सतीश अग्रवाल ने बताया कि नर्मदापुरम जिले से लाखों टन बासमती चावल अरब और एशियाई देशों में निर्यात होता है. लाल सागर में इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध के कारण जहाजों से माल जाना बंद हो गया है. इस कारण मिलों की माली हालत खराब हो रही है. चावल का बाजार गिरने से हमें परेशानी हो रही है. इसके साथ ही किसान पंकज पाल बाटते है कि मेरे पास लगभग 500 क्विंटल धान है. साथ ही हमारे घर मे लगभग 2000 क्विंटल धान रखी हुई है. इस युद्ध से पहले दाम 4500 थे, लेकिन अब 3000 तक आ गए. इतने सस्ते पर धान बेचने से लागत ही नहीं निकलेगी. इसलिए घर में ही स्टॉक किया है. दाम गिरने से किसान बैंक और साहूकारों का कर्ज हो गया है.साथ ही किसान सौरभ गौर ने बताया कि धान के दाम में 1500 प्रति तक गिरावट आ गई है. इस कारण धान घर में ही रखी है. सस्ते दाम पर धान बेची तो लागत और कर्जदार का कर्जा भी नहीं चुका पाएंगे. दाम बढ़ने के अभी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, दाम बढ़ने पर ही धान बेची जायगी.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 15:26 IST