परमजीत कुमार/ देवघर. छठ पर्व को लेकर तैयारी तेज हो गई है. इसी प्राकृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है. इसमें उपयोग होने वाले सूप और डाला से लेकर चढ़ने वाला प्रसाद का भी सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़ाव होता है.17 नवंबर को नहाय खाय के साथ इस महापर्व की शुरुआत होने जा रहा है. वही अगले दिन खरना है और तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित कर पारण किया जाएगा.
खरना के दिन अरवा चावल और गुड़ से महाप्रसाद बनाया जाता है. इस प्रसाद को चुल्हे पर तैयार किया जाता है. इस दौरान चुल्हे में जलावन के लिए खास तौर पर आम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. आइये देवघर के ज्योतिषी से जानते हैं कि इसमें आम की लकड़ी का ही उपयोग क्यों किया जाता है. देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्दकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि छठ महापर्व का हिन्दू धर्म में खास महत्व है.
इन राज्यों में धूम-धूम से मनाया जाता है पर्व
यह पर्व झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में धूम धाम से मनाया जाता है. वहीं खरना का प्रसाद बनाने मे मिट्टी के नए चूल्हे और आम कीलकड़ी का प्रयोग किया जाता है. माना जाता है किआम की लकड़ी से सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है. इसलिएखरना का प्रसाद इसी लकड़ी से तैयार किया जाता है.
खरना पर बनता है महाप्रसाद
ज्योतिषाचार्य बताते है की आम की लकड़ी का हिन्दू धर्म मे खास महत्व है. कोई भी मांगलिक या धार्मिक कार्य को पूरा करने के लिए इस लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. पूजा पाठ के हवन मे इस लकड़ी का हीप्रयोग किया जाता है. क्योकी यह लकड़ी सबसे शुद्ध या पवित्र माना जाता है. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है और इस दिन व्रतीदिन भर उपवास में रहती है.शाम के वक़्त गुड़ और अरवा चावल का खीर बनाया जाता है. जिसेछठी मैया को भोग लगाने के बाद व्रति ग्रहण करती है. इस केला के पत्ते पर खाने की परंपरा है. इस प्रसाद को ग्रहण कर व्रति 36 घंटे के निर्जला उपवास पर चली जाती है.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2023, 08:48 IST