शशिकांत ओझा/पलामू. झारखंड राज्य प्राकृतिक खूबसूरती और मनोरम दृश्य से अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है. नए साल में देश विदेश से सैलानी झारखंड घूमने आते हैं. उस झारखंड पर एक गीत लिखा गया है, जो झारखंड की सांस्कृतिक और खनिज संपदा को दर्शाता है. ये गीत पलामू के रहने वाले सेवानिवृत शिक्षक हरिवंश प्रभात ने लिखा है.
हरिवंश प्रभात ने लोकल18 को बताया कि हमारे झारखंड के नाम उन्होंने एक गीत लिखा था, जो झारखंड के बिहार से अलग होने पर लिखा था. आज भी ये गीत लोगों की जुबान पर होता है. इससे सुनने के बाद एक ही गीत में पूरा झारखंड दिख जाता है. “जवन भूमि के रोज संवारत जंगल नदी पहाड़ बा, खनिज संपदा जगजाहिर बा झारखंड राज्य हमार बा”
उन्होंने बताया कि इस गीत में झारखंड को अलग करने हेतु लड़ी गई लड़ाई, यहां की संस्कृति, खनिज संपदा और महापुरुषों का जिक्र है. यह गीत उन्होंने राजकीय गीत के रूप में लिखा है .इस गीत को बच्चियां गाकर नृत्य करती हैं. यह गीत झारखंड की छवि को दर्शाता है. इस गीत को उन्होंने अपने द्वारा रचित कई पुस्तक में स्थान दिया है. खास तौर पर बच्चों के लिए लिखी गई पुस्तक “गीत मेरी बांसुरी के” पुस्तक में इसका जिक्र है.
कौन हैं हरिवंश प्रभात
हरिवंश प्रभात पलामू जिले के मेदिनीनगर शहर के रहने वाले सेवा निवृत शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि उनका विद्यार्थी जीवन बहुत कठिनाई से गुजरा है. ग्रेजुएशन करने तक वो ट्यूशन पढ़ाया करते थे. इसके बाद 25 वर्ष की उम्र में वो सरकारी शिक्षक के रूप में राजकियकृत उच्च विद्यालय चांदो में नियुक्त हुए. इसके बाद ईमानदारी और निष्ठा के साथ बच्चों के भविष्य को संवारने का काम शुरू किया. इस दौरान वर्ष 2004 में उन्हें ए पी जे अब्दुल कलाम द्वारा बेस्ट टीचर ऑफ झारखंड के सम्मान से सम्मानित किया गया. वहीं वर्ष 2009 में हाई स्कूल से प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत हुए. हरिवंश प्रभात पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के हमीदगंज के रहने वाले है.
.
Tags: Jharkhand news, Latest hindi news, Local18, Palamu news
FIRST PUBLISHED : January 30, 2024, 18:02 IST