कुंदन कुमार/गया:- गर्मी का मौसम शुरू होते ही बिहार के गया जिले में पानी की समस्या शुरू हो गई है. जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर पहाड़ों में स्थित इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के लुटीटांड गांव में मार्च शुरू होते ही पानी की समस्या शुरू हो गई है. गांव की आबादी लगभग 300 है, लेकिन गांव में एक भी चापाकल नहीं है. लोग गांव के बाहर स्थित एक कुएं से पानी भरकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. कुओं में भी गंदा पानी है, जिससे लोगों को खाने-पीने में काफी समस्या हो रही है. गांव के लोगों ने कई बार बोरिंग करने की कोशिश की, लेकिन पहाड़ होने के कारण पानी नहीं निकल पाता. लिहाजा गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
गांव में एक पक्का मकान तक नहीं
इतना ही नहीं पहाड़ों में बसे इस गांव में जाने के लिए सड़क तक नहीं है. यहां के लोग रोजाना 5 से 6 किलोमीटर पहाड़ उतरकर रोजमर्रा के समान की खरीदारी करते हैं. अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो 25 किलोमीटर दूर इलाज कराने जाना पड़ता है. गांव की सबसे मुख्य समस्या पानी और सड़क है. यहां अभी तक सरकार की नल जल योजना नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीणों को वोट देने के लिए भी पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है. यहां के लोगों की मानें, तो मुखिया, विधायक और सांसद इनसे वोट तो ले लेते हैं, लेकिन आज तक उनके गांव में बिजली और स्कूल के अलावा कोई काम नहीं हुआ है. गांव के किसी व्यक्ति के पास पक्का मकान तक नहीं है.
पानी की है काफी समस्या
फिलहाल गांव के बाहर स्थित एक कुएं से ग्रामीण और जानवरों की प्यास बुझ रही है. यह कुआं भी जवाब दे रहा है और कुछ दिनों में यह कुआं सूखने के कगार पर आ जाएगा. गांव की महिलाएं रोजाना आधा किलोमीटर का सफर कर कुएं से पानी भरकर अपना जीवन यापन कर रही हैं. गौरतलब है कि गांव के अधिकांश लोग खेती-बाड़ी और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. गांव के ही रहने वाली दुलरिया देवी और पुन यादव लोकल 18 को बताते हैं कि अगर पानी और सड़क की समस्या दूर हो जाए, तो उनके बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है.
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एक कुएं के सहारे जिंदा हैं लोग
वे Local 18 को आगे बताती हैं कि अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है कि पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. एक कुएं के सहारे हम लोग जिंदा है, लेकिन कुछ दिनों में कुआं भी जवाब दे देगा. सड़क के अभाव के कारण हम लोगों को काफी परेशानी होती है. अगर कोई बीमार पड़ता है, तो खटिया के सहारे मरीज को 6 किलोमीटर पहाड़ से उतरकर नीचे गांव में पहुंचते हैं और उसके बाद वहां से फिर ऑटो पकड़कर अस्पताल जाते हैं. गांव के लोगों ने स्थानीय मुखिया, विधायक, सांसद और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
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FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 12:06 IST