क्रायोथेरेपी तकनीक से हड्डी कैंसर पीड़ित बच्ची को मिला जीवनदान, जानें खासियत

तारा ठाकुर/पंचकूला. पंजकूला में एक कैंसर पीड़ित बच्ची को नया जीवन मिला है. खास बात यह रही कि हड्डी के कैंसर से पीड़ित 12 वर्षीय बच्ची का क्रायोथेरेपी तकनीक का उपयोग कर सफल उपचार किया गया है. क्रायोथेरेपी एक प्रकार की कोल्ड-थेरेपी होती है. इस थेरेपी में शरीर को एक ठंडे पानी के चैंबर में रखा जाता है. इस थेरेपी में व्यक्ति को बहुत ही कम तापमान में या ठंडे पानी में रखा जाता है.यह लड़की इविंग सारकोमा से पीड़ित थी जो एक प्रकार का अग्रेसिव हड्डी का कैंसर होता है.

इस लड़की का उपचार पंचकूला के पारस हेल्थ में हुआ. क्रायोथेरेपी तकनीक का उपयोग करके लिंब साल्वेज सर्जरी करने वाले ऑर्थो-ऑन्को सर्जरी के सलाहकार डॉ. जगनदीप सिंह विर्क ने कहा कि 2 महीने पहले बच्ची के पैर की हड्डी कैंसर का पता चला था. इस अनूठी सर्जरी में कैंसरग्रस्त हड्डी को काट कर शरीर से बाहर निकाला जाता है और तरल क्रायोथेरेपी तकनीक का उपयोग करके ऑपरेशन थिएटर में रीसाइकल्ड किया जाता है. कटी हुई कैंसरग्रस्त हड्डी को लगभग 20 मिनट तक तरल नाइट्रोजन (जो शून्य से 196 डिग्री सेल्सियस नीचे एक तरल रसायन है) में डुबोया गया और फिर गलाया जाता (15 मिनट के लिए ओटी कमरे के तापमान पर रखा गया) और फिर 10 मिनट के लिए डिस्टिल्ड वाटर में डुबोया गया और फिर इसे वापस मरीज के पैर में इम्प्लांट कर दिया गया, जहां से इसे निकाला गया था.

6 महीनों में मरीज हो जाता है सही
डॉ. जगनदीप सिंह ने बताया कि यह क्रायोथेरेपी तकनीक हड्डी में सभी कैंसर कोशिकाओं को मार देती है और रोगी में दोबारा इम्प्लांट करने से पहले हड्डी को रोगाणुरहित कर देती है. इस तकनीक को रीसाइक्लिंग ऑटोग्राफ्ट तकनीक भी कहा जाता है. क्योंकि उसी कैंसरग्रस्त हड्डी को रीसाइकल्ड किया जाता है. सर्जरी के बाद अगले दिन से लड़की को खड़ा किया गया और वॉकर की मदद से चलना शुरू किया गया और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और फिजियोथेरेपी शुरू की गई. इस सर्जरी के 6-7 महीने बाद मरीज के पूरी तरह ठीक होनी की उम्मीद की जा सकती है.

जापानी सर्जनों ने शुरू की तकनीक
डॉ. जगनदीप सिंह विर्क ने कहा कि यह तकनीक कुछ साल पहले जापानी सर्जनों द्वारा शुरू की गई थी और इसे हजारों हड्डी के कैंसर रोगियों पर लागू किया गया है. जिसके बहुत अच्छे परिणाम आए हैं. भारत सहित कई देशों के विभिन्न कैंसर केंद्रों में इसे अपनाया गया है. यह तकनीक न केवल सभी कैंसर कोशिकाओं को मारती है बल्कि साथ ही प्राकृतिक अस्थि कोलेजन को संरक्षित करती है जो हमारी हड्डियों को ताकत देती है.

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FIRST PUBLISHED : September 08, 2023, 23:21 IST

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