क्‍या है साइफर केस, जिसमें पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम इमरान को हुई 10 साल जेल

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान मुसीबतों के दलदल में गहरे धंसते जा रहे हैं. पहले से ही जेल में बंद पीटीआई के मुखिया को अब विशेष अदालत ने साइफर केस में दोषी करार दिया है. स्‍पेशल कोर्ट ने उन्‍हें 10 साल जेल की सजा सुनाई है. इमरान खान के अलावा उनके सहयोगी और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है. बता दें कि इमरान खान इस समय रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं. स्‍पेशल कोर्ट ने वहीं इस मामले में फैसला सुनाया है. इस सजा के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्‍या वह पाकिस्‍तान के आम चुनावों में खड़े हो पाएंगे?

इमरान खान ने पाकिस्तान में आम चुनाव लड़ने की इच्‍छा जाहिर की थी. अब माना जा रहा है कि इमरान और शाह महमूद कुरैशी के लिए 10-10 साल की सजा भुगतने के बाद भी चुनाव लड़ने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है. हालांकि, दोनों के पास स्‍पेशल कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देना का रास्‍ता बचा है. फिर भी सेना के साथ उनके खराब संबंधों के कारण ये माना जा रहा है कि उन्‍हें ऊपरी अदालत में भी कोई राहत नहीं मिलेगी. बता दें कि आम चुनाव से ठीक पहले इमरान की पार्टी पीटीआई से चुनाव चिह्न बल्‍ला भी छीन लिया गया है. इमरान खान 2018 में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री बने थे. फिर अप्रैल 2022 में अविश्‍वास प्रस्ताव के जरिये उन्‍हें सत्ता से हटा दिया गया था.

देश की गोपनीयता भंग करने के दोषी करार दिए गए
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी को विशेष अदालत ने डिप्लोमैटिक केबल मामले में सुनाई है. इसे ही साइफर केस के नाम से पहचाना जाता है. इमरान खान पर देश की गोपनीयता भंग करने का दोषी माना गया है. दरअसल, इमरान खान जनसभाओं में एक पर्ची दिखाकर ये बताते रहे कि अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद ने उन्‍हें सूचना है. भेजी गई सूचना इसी पर्ची में है. उन्‍होंने जनसभाओं में पर्ची लहराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची गई. ये साजिश उनके राजनीतिक विरोधियों और पाकिस्‍तान की सेना ने अमेरिका के साथ मिलकर रची है.

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पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम इमरान खान सार्वजनिक मंचों पर अमेरिका में पाक राजदूत की ओर से भेजी पर्ची को लहराते हुए नजर आए थे.

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राजदूत की भेजी जानकारी नहीं कर सकते सार्वजनिक
इमरान खान ने जनसभाओं में आरोप लगाए कि उनकी सरकार गिराने की साजिश में तत्‍कालीन सेना प्रमुख कमर बाजवा भी शामिल रहे. बता दें कि किसी भी राजदूत की ओर से भेजी गई ऐसी सूचनाएं गोपनीय जानकारी के दायरे में आती हैं. ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक मंच के जरिये आम लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. इसे देश की गोपनीयता भंग करना माना जाता है. हद तो ये हो गई कि इमरान ने केबल की तारीख और नंबर तक सार्वजनिक मंचों से साझा किया. अब इस मामले में सजा मिलने के बाद इमरान खान की कानूनी ही नहीं राजनीतिक चुनौती भी बढ़ गई है.

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पहले ही इमरान पर लगी हुई है चुनाव लड़ने की पाबंदी
तोशाखाना भ्रष्‍टाचार के मामले में इमरान खान पहले ही तीन साल जेल की सजा काट रहे हैं. यही नहीं, पांच साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगी हुई है. इसी कारण उन्होंने चुनाव के लिए जहां भी नामांकन किया, उसे अयोग्यता के आधार पर रद्द कर दिया गया. तोशाखाना मामले में उनकी सजा निलंबित हो गई थी और उन्‍हें जमानत मिल गई थी. लेकिन, उनके जेल से बाहर आने से पहले ही साइफर केस में मिली सजा के कारण उन्‍हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. पाकिस्तान की फेडरल इंवेस्टीगेशन एजेंसी का आरोप है कि इमरान खान ने राजदूत का केबल कभी नहीं लौटाया. यही नहीं, केबल प्रधानमंत्री कार्यालय से से गायब है. हालांकि, पूछताछ में इमरान खान ने बताया कि उन्‍होंने केबल पीएमओ में ही छोड़ दिया था.

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पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ देश लौट आए हैं. (File Photo)

वायरल ऑडियो भी बना 10 साल की सजा की वजह
पाकिस्‍तान के पूर्व पीएम इमरान खान एक ऑडियो में अपने सेक्रेटरी और कैबिनेट मंत्रियों के साथ चर्चा करते हुए सुने गए थे. ये ऑडियो वायरल हो गया था. ऑडियो में वह कह रहे थे कि साइफर मामले को कैसे राजनीतिक तौर पर भुनाया जा सकता है. उनका ये ऑडियो भी साइफर केस में सजा की वजह बना. इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई आरोप लगाती रही है कि सभी मामले उनको चुनाव से दूर रखने की साजिश का हिस्‍सा हैं. बता दें कि पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने वाले हैं. वहीं, 2019 में देश छोड़कर गए पूर्व पीएम नवाज शरीफ पाकिस्‍तान लौट आए हैं.

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