क्या है मां नर्मदा के अस्तित्व की रोचक कहानी, कैसे महादेव से हुई इनकी उत्पत्ति

भरत तिवारी/जबलपुर: भारत की सभी दैविक नदियों में से एक मां नर्मदा, जो भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है. लगभग 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी अमरकंटक से निकलकर गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से होते हुए खंभात की खाड़ी में जा मिलती है. मोक्ष दाहिनी मां नर्मदा, जिनके दर्शन मात्र से जीवन के समस्त पाप धुल जाते हैं. सभी देवों में पूजनीय मां नर्मदा, जिनके स्पर्श मात्र से मनुष्य के सभी रोग, दुख, दर्द दूर हो जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं मोक्ष दाहिनी मां नर्मदा के अस्तित्व की क्या कहानी है? कैसे एक नर्मदा नदी मां नर्मदा बन गई? क्यों भक्त मां नर्मदा को पूजते हैं? कैसे उनके स्पर्श मात्र से सभी रोग दूर हो जाते हैं? इन सब के पीछे क्या कहानी है? मां नर्मदा इकलौती ऐसी नदी है जिसके ऊपर नर्मदा पुराण लिखा गया है.

लाखों भक्त रोजाना लगाते हैं आस्था की डुबकी
मां नर्मदा का स्वरुप इतना विराट और विहंगम है कि उनके वणर्न के लिए शब्द कम पड़ जाएं. मां नर्मदा की महिमा का गुणगान तो स्वयं ब्रह्मा विष्णु और महेश भी करते हैं. लेकिन, यह मां और भक्त का अटूट प्रेम है कि हर सुबह लाखों की तादाद में श्रद्धालु नर्मदा के तट पर पहुंचते हैं और माँ नर्मदा के जयकारों के साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं. लाखो भक्त नर्मदा के तट को मां का आंचल मानकर यही अपनी रात भी बिता देते हैं. सनातन धर्म में यूं तो 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन आता है. लेकिन यहां भक्तों की जुबां पर एक ही नाम आता है ‘नर्मदे हर.’

कैसे पसीने की एक बूंद से हुई मां नर्मदा की उत्पत्ति?
भारत की सात दैविक नदिया जिनमे गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और इन्ही में से एक मां नर्मदा, जिन्हे शैल पुत्री यानी भोलेनाथ की पुत्री कहा जाता है. इन्हीं से उनकी उत्पत्ति हुई है. मां नर्मदा एक लौती ऐसी नदी है जिस पर पूरा पुराण लिखा हुआ है. इन्ही पर लिखे नर्मदा पुराण के अनुसार, जब देवादिदेव महादेव एवं आदी शक्ति मां पार्वती के साथ लोक कल्याण हेतु ऋक्ष पर्वत पर कठोर तप कर रहे थे , जोकि हज़ारो लाखो वर्षो तक चला. इसी कठोर तप के बीच उनके शरीर से पसीने की एक बूंद बहकर निकली, जिसमें पूरा पर्वत तैरने लगा. उनके पसीने से एक अद्भुत सौंदर्य से भरपूर महा पुण्यसलिला प्रकट हुई. जब उन्होंने स्त्री रूप धारण किया वो सौंदर्य से भरपूर अमृत रुपी अमृता कहलाईं. इसका अर्थ है कभी नष्ट ना होने वाली. भोलेनाथ के पसीने की एक बूंद से पैदा हुई वो नदी कोई और नहीं हम सबकी मां नर्मदा थी. इनके दर्शन मात्र से लोगो के सभी पाप दूर हो जाते हैं और इनके स्पर्श मात्र से लोगो के रोग दूर हो जाते हैं.

Disclaimer:- मां नर्मदा की उत्पत्ति के बाद उन्होंने अमृता से माँ नर्मदा तक का सफर कैसे तय किया जानिए local 18 के साथ माँ नर्मदा की इस रोचक कहानी के अगले पार्ट में!!..

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