पाकिस्तान में महंगाई इस कदर बढ़ गई है कि लोगों के लिए दो वक्त भरपेट भोजन करना भी मुहाल हो गया है. सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. पाकिस्तान के ग्रोसरी ऐप GrocerApp.pk पर आज जारी सब्जियों के दाम से साफ है कि हालात बेहद खराब हैं. इसके मुताबिक, लाहौर में आलू 75 रुपये, प्याज 240 रुपये, टमाटर 200 रुपये और लहसुन 770 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा है. वहीं, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सब्जी भिंडी 440 रुपये प्रति किग्रा पहुंच गई है. पाकिस्तान की राष्ट्रीय सब्जी को भारत में भी खूब पसंद किया जाता है. पाकिस्तान के कुछ इलाकों में इसे भेंडी भी कहा जाता है.
भिंडी को भारत में कई नामों से जाना जाता है. हिंदी में जहां इसे भिंडी कहा जाता है, वहीं अंग्रेजी में भिंडी, ओकरा और लेडीफिंगर भी कहा जाता है. तेलुगु में बेंदाकाया और गुजराती में भिंडा कहा जाता है. ओकरा मैलो परिवार का फूल वाला पौधा है. इस पर लगे हरे बीज की फलियां स्वादिष्ट होती हैं. माना जाता है कि सबसे पहली बार भिंडी की पैदावार पश्चिम अफ्रीका, इथियोपिया, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया में हुई थी. यह पौधा दुनिया के उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और गर्म समशीतोष्ण इलाकों में उगाया जाता है. यह दक्षिण अमेरिकी व्यंजनों के साथ ही मध्य पूर्व, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील और श्रीलंका में जमकर खाई जाती है.
इग्बो भाषा के ओकरू से मिला भिंडी को नाम
नाइजीरिया की इग्बो भाषा का शब्द ओकुरू भिंडी के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द ओकरा का मुख्य स्रोत है. हालांकि, इसके नाम का इतिहास पश्चिमी अफ्रीका से जुड़ा है. माना जाता है कि इस सब्जी की उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका में हुई थी. रूसी वनस्पतिशास्त्री निकोलाई वाविलोव ने 1926 में प्रकाशित एक पेपर में कई पौधों की उत्पत्ति के बारे में लिखा था. वाविलोव के ‘उत्पत्ति के मुख्य केंद्रों’ की पहचान से वैश्वीकरण और कृषि के इतिहास को समझने में काफी मदद मिलती है. एबिसिनिया को भिंडी की उत्पत्ति का इलाका माना जाता है. इसमें सूडान का कुछ इलाका, इरिट्रिया पठार और इथियोपिया शामिल हैं. यही वह क्षेत्र है, जहां भिंडी पहली बार दिखाई दी थी.
पाकिस्तान में इस कदर महंगाई बढ़ गई है कि राष्ट्रीय सब्जी भिंडी 440 रुपये प्रति किग्रा बिक रही है.
इरिट्रिया से चलकर भारत कैसे पहुंची भिंडी
भिंडी की इरिट्रिया से भारत तक पहुंचने का सफरनामा तय कर पाना काफी चुनौतीपूर्ण है. माना जाता है कि भारत आने से पहले यह बहुत लंबे समय तक मिस्र में उगाई गई थी. इसके अलावा अभी तक यह भी पता नहीं लगाया जा सका है कि भिंडी इरिट्रिया से मिस्र कैसे पहुंची. फिर भी माना जाता है कि भारत में भिंडी को बंटू जनजाति लाई थी, जो करीब 2000 ईसा पूर्व मिस्र से यहां आई थी. उन्होंने इरीट्रिया के पठार से भारत और चीन की घाटियों तक की यात्रा के दौरान बीजों का इस्तेमाल करके भिंडी उगाना शुरू किया. हालांकि, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि भिंडी उस समय की हड़प्पा सभ्यता का हिस्सा थी या नहीं.
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दुनिया को किसने दी मसाला भिंडी की रेसिपी
मिस्र पर सातवीं शताब्दी में पूर्वी अफ्रीका के मुस्लिम लोगों का प्रभुत्व था. माना जाता है कि इस दौरान भिंडी ने इथियोपिया से आधुनिक सऊदी अरब तक की यात्रा की. फिर ये सऊदी अरब से भूमध्य सागर और दक्षिण एशिया में पहुंच गई. पश्चिमी चालुक्य राजवंश के भूलोकमाला सोमेश्वर तृतीय ने ‘भंडी’ का जिक्र किया था, जो कुछ कुछ भेंडी या भिंडी जैसा ही शब्द है. भिंडी मसाला की पहली रेसिपी सोमेश्वर ने मनसोल्लासा में प्रकाशित की थी. आयुर्वेदाचार्य चरक ने भी भंडी या भंती का जिक्र किया है. उनके बताय भंडी का आकार, रंग भिंडी से मिलता जुलता ही है. लिहाजा, इस धारणा को मजबूती मिलती है कि बैंटस इसे अपने साथ भारत लाए थे.
चालुक्य राजवंश के राजा सोमेश्वर ने मसाला भिंडी की रेसिपी दुनिया को दी.
क्या भिंडी खाने के कुछ फायदे भी हैं?
भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, जिंक,मैंगनीज, सोडियम और विटामिन सी पाया जाता है. स्पष्ट है कि भिंडी को खाना और खिलाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसके फूल सफेद रंग के होते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम हिबस्कस एस्कुंटलस होता है. हिबस्कस प्रजाति के दूसरे पौधों की तरह इसके फूल भी सिर्फ एक ही दिन खिलते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 11, 2024, 14:25 IST