ऐ जवानो, गरीब तोड़ देती है जो रिश्ते खास होते हैं,
पराए अपने होते हैं जब पैसे पास होते हैं।
साल 2012 में आई अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में कही गई इन लाइनों का आशय यही है कि जब आपके पास कुछ भी नहीं है तो किसी के द्वारा आपको भाव नहीं दिया जाएगा। लेकिन जब शक्ति है तो बड़ी से बड़ी महाशक्ति और अपने आप में विचित्र संगठन भी आपको समर्थन देने लग जाता है। ईरान का चाबहार बंदरगाह इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। चर्चा दो वजहों से हो रही है। पहली 15 जनवरी को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के ईरान दौरे की वजह से, ईरान में सड़क एवं शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बज्रपाश से जयशंकर ने मुलाकात कर अपने दौरे की शुरुआत की। इस दौरान दोनों पक्षों ने दीर्घकालिक सहयोग ढांचा स्थापित करने पर, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर, विस्तृत और उत्पादक चर्चा की। इसके ठीक एक दिन बाद ही ईरान ने भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान पर आधी रात को एयर स्ट्राइक कर दिया। इस हमले के बाद चाबहार एक बार फिर चर्चा में आया। ईरान का कहना है कि पाकिस्तान का आतंकी संगठन जैश अल अदल उसके लिए खतरा बनता जा रहा था। जैश अल अदल ईरान के चाबहार में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है।
ईरान ने पाकिस्तान पर क्यों किया हमला
ईरान ने पाकिस्तान पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया है। ये हमला 16 जनवरी की रात बलूचिस्तान में हुआ। जैश अल अदल नामक आतंकी संगठन के दो ठिकानों को निशाना बनाया गया। ये गुट ईरान पर हमले के लिए कुख्यात रहा है। इसका बेस ईरान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर बसे इलाकों में है। ईरान ने पहले भी कई दफा पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वो जैश अल अदल के खिलाफ कार्रवाई करे। पाकिस्तान नहीं माना। फिर भी ईरान उसकी सीमा में घुसकर हमला करने से बच रहा था। 16 जनवरी को उसने सीमा पार कर दी। इस पर पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि हमले में दो बच्चों की मौत हुई है जबकि तीन लड़कियां घायल हुई हैं। उसने हमले की कड़ी निंदा की है और कहा है कि ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। इसका अंजाम बुरा होगा और इसकी जिम्मेदारी ईरान की होगी।
जयशंकर से चाबहार पर हुई चर्चा
चाबहार जहां भारत और ईरान के बीच एक बड़ी परियोजना चल रही है। ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, इसी वदह से चाबहार बंदरगाह संपर्क और व्यापार रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान द्वारा विकसित किया जा रहा है। भारत क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट पर जोर दे रहा है, खासकर अफगानिस्तान से इसके कॉन्टैक्ट के लिए। मजे की बात देखिए कि जब भारत के विदेश मंत्री ईरान गए थे तब भारत और ईरान के बीच चाबहार डैम परियोजना को लेकर ही बात हुई थी। भारत चाहता है कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए। लेकिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन यहां अड़ंगा डाल रहे हैं। इसलिए ईरान ने अब इस आतंकी संगठन को ही तबाह कर दिया।
क्या है चाबहार बंदरगाह परियोजना
चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। ओमान की खाड़ी में स्थित ये बंदरगाह ईरान के दक्षिणी समुद्र तट को भारत के पश्चिमी समुद्री तट से जोड़ता है। चाबहार बंदरहाग ईरान के दक्षिणी पूर्वी समुद्री किनारे पर बना है। इस बंदरगाह को ईरान द्वारा व्यापार मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूर पर है। अभी तक मात्र 2.5 मिलियन टन तक के समान ढोने की क्षमता वाले इस बंदरगाह को भारत,ईरान और अफगानिस्तान मिलकर इसे 80 मिलियन टन तक समान ढोने की क्षमता वाला बन्दरगाह विकसित करने की परियोजना बना रहे हैं।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण
अफगानिस्तान के इलाके तक जमीन के रास्ते पहुंचना संभव नहीं है। यहां पहुंचने के लिए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का सहारान लेना पड़ता है या फिर ईरान के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है। कराची के रास्ते होने वाले निर्यात या फिर ईरान के बरास्ते होने वाले निर्यात की तुलना में चाबहार से अफगानिस्तान पहुंचना बेहद सस्ता होगा। जिसके पीछे की वजह इसका देश के एकदम करीब होना है। अमेरिका की तरफ से भारत को प्रतिबंधों के बावजूद चाबहार डील पर मंजूरी मिली थी क्योंकि ये अफगानिस्तान के पुर्ननिर्माण में बहुत मददगार था। यह बंदरगाह ईरान से ज्यादा अफगानिस्तान के लिए फायदेमंद था। चाबहार बंदरगाह के निर्माण में भारत की हिस्सेदारी से उसे अफगानिस्तान में वैकल्पिक और भरोसेमंद रास्ता मिल सकेगा। ईरान के दक्षिणी-पूर्वी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत स्थित चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया में समंदर पर आधारित रास्ता मुहैया कराता है।