क्या वोटरों को चुनावी वादों के पूरा होने के बारे में जानने का अधिकार है?

चेन्नई. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को कहा कि मतदाताओं को राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों को पूरा करने की व्यवहार्यता के बारे में जानने का अधिकार है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला विचाराधीन है.

कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणापत्रों में वादे करने का अधिकार है और मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि क्या ये व्यावहारिक हैं और इन कार्यक्रमों को कैसे वित्त पोषित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है.

राजीव कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने पार्टियों को अपने चुनावी वादों को बताने के लिए एक ‘प्रारूप’ तैयार किया है. हालांकि, यह पहलू अदालत में लंबित मामले से भी संबंधित है. उन्होंने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को सतर्क रहने और नकदी तथा उपहारों के वितरण को रोकने का निर्देश दिया गया है.

कुमार ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम को भी ऑनलाइन लेनदेन पर नजर रखने का काम सौंपा गया है. ‘फर्जी खबर’ के संबंध में एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, “आज फर्जी खबरें चल रही हैं, जैसा कि आपने बताया कि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है. हालांकि, आधे घंटे के भीतर इस फर्जी खबर का खंडन कर दिया गया और यह स्पष्ट कर दिया गया कि यह खबर सही नहीं है.”

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में ज्यादातर राजनीतिक दलों ने एक ही चरण में चुनाव कराने की मांग की है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “हमने भाजपा, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय और अन्नाद्रमुक, द्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों समेत अन्य कई राजनीतिक दलों से मुलाकात की. उनकी मांग एक चरण में चुनाव कराने, चुनाव के दौरान पैसे बांटने और मुफ्त सुविधाओं पर अंकुश लगाने की थीं.”

तमिलनाडु में पिछले चुनावों के दौरान, पार्टियां अक्सर एक-दूसरे पर नकदी और उपहार बांटकर मतदाताओं को ‘लुभाने’ का आरोप लगाती रही हैं. निर्वाचन आयोग के मुताबिक, तमिलनाडु में 6.19 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 3.15 करोड़ महिलाएं और 3.04 करोड़ पुरुष हैं. 20 से 29 वर्ष की आयु के 1.08 करोड़ लोग हैं, जबकि 18 से 19 वर्ष की आयु के बीच के ऐसे मतदाताओं की संख्या 9.18 लाख है, जो पहली बार वोट देंगे.

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