क्या लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान पैदा हुए बच्चे को मिलेगा पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सा? जानें एक्सपर्ट की राय

रजनीश यादव /प्रयागराज : भारत में धीरे-धीरे पश्चिमी सभ्यता का प्रचलन बढ़ रहा है. यूरोप और अमेरिका के तर्ज पर भारत में भी शादी से पहले लड़का-लड़की साथ में रहते हैं. जिसको नाम दिया गया है लिव-इन रिलेशनशिप . कई कपल इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, ताकि यह तय कर सकें कि दोनों शादी करने के लिए कंपैटिबल हैं या नहीं. जबकि भारत में शादी से पहले लड़का-लड़की को साथ रहना सही नहीं माना जाता है. आइए जानते हैं कि क्या है लिव-इन रिलेशनशिप? और भारत में इसे लेकर क्या कानून है?

पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी एक नया कल्चर पनपा है. जिसमें लड़का-लड़की बिना शादी के एक साथ एक छत के नीचे शादीशुदा दम्पति की तरह जीवन यापन करते हैं. इन रिश्तों को नाम दिया जाता है लिव-इन रिलेशनशिप . इसमें लड़का-लड़की दोनों बालिग होते हैं. जो अपनी मर्जी से एक दूसरे के साथ रहने का विकल्प चुनते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप को देश के उच्चतम न्यायालय ने भी वैध ठहराया था.

कब मिली थी लिव-इन रिलेशनशिप को क़ानूनी मान्यता?
आज से 17 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के एक केस में फ़ैसला देते हुए कहा था कि, “वयस्क होने के बाद व्यक्ति किसी के साथ रहने या शादी करने के लिए आज़ाद है.” इस फ़ैसले के साथ लिव-इन रिलेशनशिप को क़ानूनी मान्यता मिल गई थी . अदालत ने कहा था कि कुछ लोगों की नज़र में ‘अनैतिक’ माने जाने के बावजूद ऐसे रिश्ते में रहना कोई ‘अपराध नहीं है’.

क्या शादी करना जरूरी हैं ?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अधिवक्ता स्वाति अग्रवाल बताती हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान अगर लड़की गर्भवती हो जाती है तो कानून के अनुसार लड़का शादी के लिए बाध्य नहीं हैं. क्योंकि लड़का-लड़की दोनों बालिक होते हैं और अपनी मर्जी से एक दूसरे को पार्टनर चुनते हैं साथ रहते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब ही होता है एक दूसरे का दिन रात का साथ. दोनों का एक साथ एक छत के नीचे रहना.

क्या बच्चे को पिता के पुश्तैनी संपत्ति में मिलेगा हिस्सा?
लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसका वही अधिकार होता है जो एक बेटे का अपने पिता पर होता है. बच्चों के अधिकार के लिए महिला पिटीशन दायर कर सकती है. इससे पिता के द्वारा अर्जित की गई या बनाई गई संपत्ति में अधिकार दिया जाता है. लेकिन ध्यान रहे उसे बच्चे का अधिकार पिता के पुश्तैनी संपत्ति में बिल्कुल नहीं होगी. पिटीशन दायर करने का यह कानूनी अधिकार महिला को डोमेस्टिक वायलेंस के सेक्शन 16 के तहत मिलता है.

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