क्‍या था उस पर्ची में जो नरसिम्‍हा राव ने थमा दी थी अटल बिहारी के हाथों में, अब हुआ खुलासा

नई दिल्‍ली. एक समय कांग्रेस नेता और पूर्व पीएम नरसिम्‍हा राव (Narasimha Rao) ने भाजपा नेता और देश के तीन बार पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को एक पर्ची थमाकर अपने अधूरे काम को पूरा करने का अनुरोध किया था. नरसिम्‍हा राव अमेरिकी दबाव के कारण परमाणु टेस्‍ट नहीं कर पाए थे. ये खुलासा अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार अशोक टंडन की किताब में हुआ है. इस किताब रिवर्स स्विंग: कॉलोनियलिज्म टू कोऑपरेशन में ऐसे कई पहलुओं की जानकारी दी गई है. कांग्रेस नेता पीवी नरसिम्हा राव, जो 1991 से 1996 तक भारत के प्रधान मंत्री थे.

साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयीको प्रधानमंत्री बनने में पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के साथ दोस्ती भी काम आई थी. दरअसल 1996 में चुनावों के बाद किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी को लग रहा था कि शायद अमेरिका उन्हें प्रधानमंत्री न बनने दे और उनके खिलाफ वो लॉबिंग कर सकता है. इस बात के सबूत दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के मेल से भी मिलते हैं जो उस वक्त वाशिंगटन को भी भेजे गए थे. ऐसा ही एक मेल वाजपेयी और तत्कालीन अमेरिकी राजदूत फ्रैंक विस्नर के बीच बातचीत पर आधारित है. ये बातचीत 1996 के चुनाव से पहले हुई थी. वाशिंगटन को भेजी अपनी एक रिपोर्ट में विस्नर ने वाजपेयी को अगले भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर नकार दिया था.

नरसिम्हा राव फैसले से खुश थे, उनके दोस्त वाजपेयी को आगे क्या करना है
दरअसल उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी की बॉडी लैंग्वेज से ऐसा लग रहा था कि वो न्यूक्लियर टेस्ट कर सकते हैं. जब तक गैर-भाजपाई पार्टियां किसी दूसरे नेता के नाम पर सहमति बनाते, तब तक तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद के लिए न्योता दे दिया और उन्हें सदन में बहुमत साबित करने को कहा. पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव राष्ट्रपति के फैसले से खुश थे. वो जानते थे कि उनके दोस्त वाजपेयी को आगे क्या करना है.

क्‍या था उस पर्ची में जो नरसिम्‍हा राव ने थमा दी थी अटल बिहारी के हाथों में, अब हुआ खुलासा

भारत को बनाएं परमाणु संपन्‍न देश
राष्ट्रपति भवन में बिना वक्त गवाएं उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वाजपेयी को चुपचाप एक नोट थमा दिया. इसमें लिखा था, ‘अब मेरे अधूरे काम को पूरा करने का समय है’. ये काम कुछ और नहीं बल्कि पोखरण में परमाणु परीक्षण था, जो राव अपने कार्यकाल के दौरान नहीं कर सके थे. हालांकि वाजपेयी जब तक ये ऐतिहासिक काम यानी भारत को परमाणु शक्ति बनाते, उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया. नरसिम्हा राव खुद अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान परमाणु परीक्षणों को रोकने के लिए अमेरिकी दबाव की रणनीति का शिकार हुए थे.

Tags: Atal Bihari Vajpayee, BJP, Congress, Nuclear weapon

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *