क्या केवल तंत्र साधक मनाते हैं गुप्त नवरात्रि? कब करते हैं अघोरी खास साधना? चमोली के विद्वान से जानें सब

सोनिया मिश्रा/ चमोली. सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. हर साल में 4 नवरात्रि होती हैं. चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बारे में लगभग सभी को पता होता है लेकिन इसके अलावा माघ और आषाढ़ माह में भी दो नवरात्रि आती हैं, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इस बार माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो रही है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में चार महीने (माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन) में नवरात्रि होती हैं, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं.

गुप्त नवरात्रि के बारे में कम ही लोगों को पता होता है. इसी कारण इसे गुप्त यानि छिपी हुई नवरात्रि कहते हैं. जानकार बताते हैं कि यह नवरात्रि तंत्र साधना के लिए बेहद उचित मानी जाती है. साथ ही इन नवरात्रियों में तंत्र साधना का भी महत्व होता है और इस समय में विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है. वहीं मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा का प्रसाद बांटने से सफलता मिलती है.

क्या है गुप्त नवरात्रि?
उत्तराखंड के चमोली निवासी पंडित गिरीश जोशी बताते हैं कि साल में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें से चैत्र और अश्विन के महीने की नवरात्रि को सभी भक्त बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं. इस दौरान सभी अपने घरों में हरियाली बोते हैं और अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ अपने व्रत की समाप्ति करते हैं लेकिन इसके अलावा साल में दो अन्य नवरात्रि भी होती हैं, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है.

गुप्त नवरात्रि में तंत्र पूजा का महत्व
पंडित गिरीश जोशी बताते हैं कि सामान्य नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों ही प्रकार की पूजाएं की जाती हैं लेकिन गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तंत्र की पूजा की जाती है और इसका आमतौर पर ज्यादा प्रचार प्रसार भी नहीं किया जाता है. तंत्र विद्या और सिद्धि प्राप्त करने वाले अघोरियों के लिए इसका खास महत्व है. तंत्र-मंत्र और सिद्धि पाने के लिए अघोरी गुप्त नवरात्रि में खास साधना करते हैं.इस दौरान 10 महाविद्या की साधना की जाती है. यही कारण है कि इन नवरात्रियों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है.

केवल तांत्रिक विद्या के लिए नहीं है गुप्त नवरात्रि
पंडित गिरीश जोशी बताते हैं कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तुलना में गुप्त नवरात्रि में देवी की साधना ज्यादा कठिन होती है. इस पूजा में मानसिक पूजा का महत्व है और वाचन गुप्त होता है. वह बताते हैं कि ऐसा भी नहीं है कि गुप्त नवरात्रि केवल तांत्रिक विद्या के लिए ही होती है, इसे कोई भी कर सकता है. दुर्गा सप्तशती में वर्णन है कि नवरात्रि में मां दुर्गा का प्रसाद बांटने से अच्छे परिणाम दिखाई देते हैं.

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