अखबार ने पूर्व पत्रकार सोलांगी के हवाले से कहा, ‘‘हमारा मानना है कि नैतिक मानदंडों को बरकरार रखना और जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देना अत्यधिक आवश्यक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम यह जानना चाहते हैं कि संपादकीय निर्णय कैसे लिए जाते हैं और द इकोनॉमिस्ट द्वारा सामग्री की वैधता एवं विश्वसनीयता के संदर्भ में क्या ध्यान में रखा जाता है।’’ ‘डॉन’ अखबार ने यह भी बताया कि खान की पार्टी के सूत्र इस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं कि यह लेख जेल के भीतर से ब्रिटिश मीडिया संस्थान तक कैसे पहुंचाया गया। हालांकि, उन्होंने यह माना कि लेख निश्चित रूप से खान के शब्दों में लिखा गया है। कुछ पर्यवेक्षकों ने इस पर संदेह जताया है कि क्या लेख वाकई खान ने लिखा है लेकिन कई पर्यवेक्षकों का कहना है कि लेख की और विषय-वस्तु खान के विचारों के अनुरूप है।
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