वसीम अहमद/अलीगढ़. श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद काफी लंबे समय से चला रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद का अपनी देखरेख में सर्वेक्षण कराए जाने को मंजूरी दे दी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी. यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है. इस जमीन के 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर है तो बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है. इस विवाद का इतिहास 350 साल पुराना है.
आपको बता दें कि मामला यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है. यूपी के इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा शाही ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि विवाद में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. अब कोर्ट इस मामले में 24 अप्रैल को फैसला सुनाएगी. शाही मस्जिद ईद का ट्रस्ट की प्रबंध समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मथुरा वादी – प्रति की तरफ से बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद पर प्रदेश के प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने इसके बारे मे जानकारी देते हुए कहा की ये मंदिर वीर सिंह बुंदेला ने जहांगीर के जमाने में बनाया था जो बहुत ऊंचा और शानदार था.
जानें कब और कैसे शुरू हुआ विवाद?
इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब के मुताबिक जहांगीर की हुकूमत 1605 से लेकर 1627 तक थी. बहुत ऊंचा मंदिर था और बहुत शानदार था. लेकिन 1670 में औरगंजेब ने उसको गिरा दिया. जहां मंदिर तोड़ा गया वहां पर मस्जिद बनाई गई.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह की कहानी
दोनों पक्षों के बीच में फैसला हुआ कि दोनों एक दूसरे की जमीन पर कोई हक नहीं रखेंगे. कानून तो यह नहीं हो सकता क्योंकि कानून यह है कि जो प्लेस आफ वरशिप एक्ट है अयोध्या के अलावा किसी ओर पर लागू नही होगा. 15 अगस्त 1947 में जैसा था वैसा रहेगा. कानून को संसद बदल सकती है लेकिन कचहरिया उसको फॉलो नहीं कर रही हैं. यह कानून था कि अयोध्या को छोड़कर जितनी भी मजहबी जगह हैं. उनकी वहीं पोजीशन रहेगी जो 15 अगस्त 1947 को थी. अगर हिंदू वहां पूजा करते थे मंदिर रहेगा और अगर मुसलमान वहां नमाज पढ़ते थे 1947 में तो मस्जिद रहेगी. जहां तक मैं समझता हूं कानून यह है कि 15 अगस्त 1947 में इसकी क्या पोजीशन थी.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2023, 15:38 IST