वसीम अहमद/अलीगढ़. इस्लाम धर्म में मदरसे की तालीम को बड़ी अहमियत दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस्लाम धर्म को जानने का रास्ता मदरसे से होकर जाता है, मदरसे में दीनी तालीम पढ़ाई जाती है, जिससे कि लोगों को इस्लाम धर्म के बारे में जानकारी हो सके. दरअसल, “मदरसा” एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है पढ़ने का स्थान. भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया था. उसे समय मोहम्मद गौरी का शासन हुआ करता था. हालांकि, इसके बाद लगातार धीरे-धीरे मदरसों की संख्या भारत में बढ़ती गई.
अकबर के शासनकाल में मदरसों में इस्लामी शिक्षा के अलावा भी अन्य शिक्षा देने की शुरुआत हुई थी. भारत में अंग्रेजों द्वारा भी मदरसे खोले गए. वारेन हेस्टिंग्स ने 1780 में कोलकाता में अंग्रेजी सरकार द्वारा पहला मदरसा खोला गया था. इसके बाद धीरे-धीरे मदरसों में तब्दीली आना शुरू हुई. 1844 से मदरसे में बदलाव आना शुरू हुआ. मदरसे से पास हुए छात्रों के लिए सरकारी नौकरियां मिलने के दरवाजे बंद कर दिए गए. इसके बाद शिक्षा व्यवस्था को धार्मिक और गैर धार्मिक श्रेणी में बांट दिया गया.
मदरसों का पाठ्यक्रम
मदरसों में मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल, अरबी, फारसी और उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी के साथ ही सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, नागरिक शास्त्र और कंप्यूटर विषय विकल्प के तौर पर पढ़ाई जाते हैं. जिससे कि बच्चों को मदरसे की तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी मिल सके और वह अपना बिजनेस या सरकारी नौकरियां कर सकें.
इस्लाम में तालीम की अहमियत
मदरसा संचालक मोहम्मद मसूद आलम नूरी बताते हैं कि इस्लाम मजहब किसी एक कौम या किसी एक जगह के लिए नहीं आया है. यह इस्लाम मजहब जो है, यह पूरी दुनिया के इंसानों के लिए आया है. इस्लाम एक अमन और चैन का मजहब है. इस्लाम में मदरसे की तालीम की बात है तो आपको बता दें कि हमारे दीन ए इस्लाम में जो एक किताब है, जिसे पूरी दुनिया कुरान मजीद के नाम से जानती है. उस कुरान के अंदर 30 पारे हैं, 114 सूरत हैं और 6686 आयत हैं. लेकिन, कुरान में जो सबसे पहला शब्द आया है. वह है “इकरा” यह शब्द अरबी का शब्द है. इसका मतलब है “पढ़ो” तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि इस्लाम में सबसे पहले तालीम की अहमियत दी गई है यानी कि एजुकेशन की अहमियत दी गई है.
तालीम से इस्लाम को समझा जाता है
मोहम्मद मसूद आलम नूरी का कहना है कि जो लोग समझते हैं कि इस्लाम में पढ़ने के लिए रोका जाता है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. बल्कि इस्लाम में तालीम हासिल करने के लिए कहा गया है. मदरसा की तालीम के जरिए इस्लाम को समझा जाता है और दुनियाई तालीम के लिए आप मदरसे की तालीम हासिल करने के साथ-साथ दुनिया की तालीम भी हासिल कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 18:01 IST