क्या आपके धान की फसल में है यह बीमारी? जानिए कृषि वैज्ञानिक की यह सलाह

अभिनव कुमार/दरभंगा.किसानों के लिए पहले मौसम अब धान फसल की यह बीमारी चिंता का विषय है. इस बीमारी के कारण धान की फसल को काफी नुकसान पहुंच रहा है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि धान की फसल में तना छेदक कीट काफी नुकसान पहुंचा रहा है. इसकी सुड़ियां तनों में घुसकर क्षति पहुंचती है.जिसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है. बीमारी के रोकथाम और फसल को सुरक्षित कैसे किया जाए.

बीते 13 वर्षों में कुछ वर्ष को छोड़कर मौसम का हाल बेहाल रहा है. इस साल 40 से 50% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. जिससे धान की फसल में एक बीमारी फैल रही है. इस कारण फसल बर्बाद होने की संभावना बढ़ गई है. जिसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है. विस्तृत जानकारी देते हुए जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए सत्तार ने कहा कि मानसून तो समय से आया लेकिन मानसून में वर्षा काफी कम हुई है. जून और जुलाई महीने में काफी कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है. जिसके कारण किसानों को काफी दिक्कतें भी हुई है. ट्रांस प्लानिंग बहुत ही कम हुई है. उत्तर बिहार में 1200 से 1400 mm वर्ष होनी चाहिए थी वर्ष 2023 में लेकिन इस बार जुलाई में काफी कम वर्षा हुई. कम वर्षा के कारण किसानों को नुकसान भी हुआ है. जुलाई महीने में 65 से 50% कम वर्षा रिकार्ड किया गया है. वही अगस्त में अच्छी खासी बारिश हुई है.

फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करें
किसानों को सलाह दिया जाता है कि अगर धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करें. इसकी सुड़ियां तनों में घुसकर क्षति पहुंचाती है. प्रारंभिक अवस्था में पौधे की मध्य तालिका मुरझाकर सूखी हुई नजर आती है. ऐसे पौधों में बालियां सुखी और खोखली रह जाती है. इसे अगर पकड़ कर खींचा जाए तो वह आसानी से बाहर निकल आती है. इस प्रकार का लक्षण दिखने पर बचाव के लिए फोरोमोन ट्रैप की 12 ट्रैप प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें. खेतों में 5% क्षतिग्रस्त पौधे दिखाई देने पर करताप हाइड्रोक्लोराइड दानेदार दवा का अथवा फिंप्रोनील 0.3 जी का 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से व्यवहार करें.

करें यह उपाय
धान की फसल में खैरा बीमारी दिखाई पड़ने पर खेतों में जिंक सल्फेट 5.0 किलोग्राम और 2.5 किलोग्राम बुझा चूना का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें. पिछात धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के कार्य को प्राथमिकता दें. सितंबर अरहर की बुवाई ऊंचास जमीन में करें. बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रेजन ,45 किलोग्राम स्फुर , 20 किलोग्राम पोटाश और 20 प्रति किलोग्राम बीच की दर से उपचार करें. बुवाई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राइबो राइबोबियम कलर से उपचारित कर बुवाई करनी चाहिए.

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FIRST PUBLISHED : September 04, 2023, 12:47 IST

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