कौन है ये IAS तिकड़ी जिसपर BJP ने लगाया विधानसभा चुनाव में दांव? इतनी चर्चा क्यों

अनिंद्या बनर्जी
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी (BJP) ने अबतक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उसमें कई ब्यूरोक्रेट्स को भी जगह मिली है. खासकर तीन अफसर ऐसे हैं, जिनकी ‘तिकड़ी’ पर सबकी निगाहें टिकी हैं. तीनों IAS थे और अब बीजेपी के साथ हैं.

चंद्र मोहन मीणा
चंद्र मोहन मीणा 1980 बैच के सेवानिवृत्त IAS अफसर हैं और बीजेपी ने उन्हें राजस्थान से चुनाव मैदान में उतारा है. वह बस्सी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, जो रिजर्व सीट है. राजस्थान के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे मीणा को 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के ठीक एक साल बाद राजस्थान का सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया था.

हाल के दिनों में जब मीणा को राजस्थान में चुनाव लड़ाने की चर्चा शुरू हुई तो पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध भी किया और दिल्ली तक पहुंच गए. बीजेपी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर की. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी नेताओं का कहना था कि पार्टी अपने कैडर के किसी नेता को टिकट दे दे, लेकिन आउटसाइडर मीणा को टिकट न दे. आपको बता दें कि मीणा ने इसी साल जून में बीजेपी ज्वाइन की थी.

चंद्र मोहन मीणा

चंद्र मोहन मीणा.

ओपी चौधरी
ओपी चौधरी 2005 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं. उन्होंने राजनीति में आने के लिए प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था. ‘पीएम एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित चौधरी वर्तमान में छत्तीसगढ़ भाजपा के महासचिव है. हाल के दिनों मे सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक, उनकी लोकप्रियता खासी बढ़ी है. खासकर 2018 में जब रमन सिंह को केंद्र में भूमिका मिली तो, ओपी चौधरी का कद बढ़ता गया.

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ओपी चौधरी.

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में चौधरी को रायगढ़ सीट से मैदान में उतारा है. पार्टी की घोषणा के बाद ओपी चौधरी अपनी मां का आशीर्वाद लेने पहुंचे और चंद मिनट बाद उनके सोशल मीडिया पेज पर इसका वीडियो भी आ गया. जो अब वायरल हो रहा है. बता दें कि चौधरी पिछले विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

नीलकंठ टेकाम
नीलकंठ टेकाम इसी साल अगस्त में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ के केशकाल सीट से मैदान में उतारा है. यह आरक्षित सीट है. टेकाम ने ओम माथुर की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और तब उन्होंने कहा था, ‘मैंने जॉब छोड़ दी है लेकिन एजेंडा वही रहेगा- लोगों का कल्याण’.

बीजेपी ज्वाइन करते वक्त नीलकंठ टेकाम ने कांग्रेस पर पक्षपात का आरोप भी लगाया था. कहा था कि कांग्रेस की सरकार ने उन्हें डेस्क जॉब के लिए फोर्स किया. 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे टेकाम नक्सल प्रभावित बस्तर जिले से आते हैं और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में सेवा दे चुके हैं.

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नीलकंठ टेकाम. फाइल फोटो

और भी नौकरशाह कतार में
चंद्र मोहन मीणा, ओपी चौधरी और नीलकंठ टेकाम के अलावा तमाम और नौकरशाह हाल के दिनों में बीजेपी में शामिल हुए. 2007 बैच के आईएएस अफसर रहे नल्लूमल पहाड़िया (Nannu Mal Pahadiya) ने जुलाई में सिविल सर्विस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए.

सिर्फ IAS ही नहीं, बल्कि IPS अफसरों की भी बीजेपी पसंदीदा पार्टी है. पहाड़िया के ही बैचमेट रहे महेश भारद्वाज ने कुछ महीने पहले नौकरी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन की थी. एक और अफसर गोपाल मीणा भी बीजेपी में शामिल हो गए. अब इन सबके चुनाव लड़ने की चर्चा है.

ब्यूरोक्रेट्स पर दांव क्यों?
बीजेपी से जुड़े अंदरूनी सूत्र कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गवर्नेंस में ब्यूरोक्रेसी की एक अलग भूमिका देखते हैं और ब्यूरोक्रेट्स पर भरोसा भी जताते रहे हैं. खुद केंद्र सरकार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. नरेंद्र मोदी सरकार के तमाम पावरफुल मंत्री ब्यूरोक्रेसी से आए हैं. चाहे वो विदेश मंत्री एस. जयशंकर हों, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव या हरदीप सिंह पुरी.

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