कौन हैं हरि सिंह? जिन्होंने सारी कमाई कर दी दान,बनाया शिक्षा का महान स्थान

अनुज गौतम/सागर : महान दानवीर शिक्षाविद डॉक्टर हरि सिंह गौर के कृतित्व और व्यक्तित्व पर नागपुर विश्वविद्यालय भी शोध करेगा. इसके लिए जल्द ही सागर विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय के बीच करार होने जा रहा है. डॉक्टर गौर को भारत रत्न मिल सके, इसके लिए गौर पीठ के द्वारा यह प्रयास किया जा रहे हैं. कालिदास संस्कृत महाविद्यालय नागपुर और दिल्ली विश्वविद्यालय से भी इस संबंध में चर्चा चल रही है. दरअसल डॉक्टर गौर का जहां-जहां भी कार्यक्षेत्र रहा है, उन सभी जगह से संपर्क कर शोध किए जाने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहे हैं.

अपने जीवन भर की कमाई शिक्षा के लिए दान करने वाले डॉक्टर हरि सिंह गौर दिल्ली यूनिवर्सिटी के संस्थापक वाइस चांसलर रह चुके हैं. 1922 से 1926 तक उन्होंने इस पद के दायित्व का निर्वहन किया था. इसके बाद 1926 से 34 तक वह नागपुर विश्वविद्यालय के भी कुलपति रहे. इस दौरान नागपुर के महापौर के रूप में भी प्रतिनिधित्व किया था. नागपुर से ही वह असेंबली तक तक पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने नागपुर के लिए बहुत कुछ कार्य किए हैं. कुलपति और मेयर रहने के दौरान उन्होंने नागपुर में क्या किया और किस प्रकार से हुआ. इस पर शोध किया जाएगा. इसके बाद इन सभी को गौर पीठ के माध्यम से एकत्रित कर जब भारत रत्न के लिए दावा पेश किया जाएगा तो वह अधिक मजबूत होगा.

गौर साहब पर शोध करने अब तक एक करोड़
डॉ हरिसिंह गौर के लिए बुंदेलखंड के अलावा प्रदेश के लोग भी भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. इसको लेकर अलग-अलग तरह के प्रयास भी किए गए. लेकिन संघर्ष के बाद भी सफलता नहीं मिल पाई. ऐसे में गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व को सामने लाने के लिए गौर पीठ की स्थापना की गई. जिसके लिए बड़ी संख्या में दानदाताओं के द्वारा दान भी दिया जा रहा है. पिछले 1 साल में करीब एक करोड़ का दान केवल गौर साहब के लिए लोगों ने दिया है. इस दान की राशि से शोध पत्रिकाएं प्रकाशित की जाएगी शोध कराए जाएंगे.

एक व्यक्ति के दान से बनी विश्व की एक मात्र विश्व विद्यालय
गौर पीठ के समन्वयक प्रोफेसर डॉक्टर दिवाकर सिंह राजपूत ने  कहा कि डॉक्टर गौर ने 1944 में बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके को बढ़ावा देने शिक्षा के लिए 2 करोड की संपत्ति का दान किया था. 18 जुलाई 1946 को विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी. ऐसे महान व्यक्तित्व को भारत रत्न मिलना चाहिए. इसके लिए उनके कार्यों को विश्व पटल पर लाए जाने का प्रयास किया जा रहा हैं. इसके अलावा जितने भी सकारात्मक प्रयास किए जा सकते हैं उनको आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के महाविद्यालय में विश्वविद्यालय में और शैक्षणिक संस्थाओं के साथ विधि के अभिकरण में डॉ गोर की भूमिका को प्रस्तुत करने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किए जा रहे. भारत रत्न के लिए सागर वासी और प्रदेश वासी प्रयास कर रहे हैं जहां कमी रह गई है उन कमी को ठीक करने के प्रयास हो रहे हैं इसलिए यह समन्वय उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जहां-जहां डॉक्टर गौर साहब का कार्यक्षेत्र रहा है.

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