विनय अग्निहोत्री/भोपाल. छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क पूरी दुनिया में अपने खास टेक्स्चर के लिए जाना जाता है. जांजगीर-चांपा जिला कोसा, कांसा, कंचन के नाम से विख्यात है. यहां के कारीगरों द्वारा निर्मित कोसा कपड़े को देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी ख्याति प्राप्त है. राजधानी भोपाल के 10 नंबर स्थित राग भोपाली में आयोजित कोसा और कॉटन ऑफ छत्तीसगढ़ प्रदर्शनी में वहां के बुनकर पहुंचे हैं.
बुनकरों द्वारा यहां प्रदर्शित डिजाइनर कलेक्शन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. छत्तीसगढ़ के जिला हाथकरघा और हस्तशिल्प की ओर से संयोजित प्रदर्शनी में सिल्क के कपड़े प्राकृतिक रंग से तैयार किए गए हैं. जैसे पीला रंग गेंदे के फूल से बनाया गया है. काला रंग मशरूम और प्याज के रंग से तैयार किया गया है. इस प्रकार कोसे के कपड़े जो थान में यहां उपलब्ध हैं, उन पर वेजीटेबल कलर किया गया है.
ग्रामीण करते हैं साड़ियां तैयार
रायपुर से आए राजन ने कोसा साड़ी के बारे में बताया कि 7 से 8 कोकून से मिलाकर 1 पूरा लंबा धागा तैयार होता है. इसके बाद धागे में रंग लगाया जाता है. सूखने के बाद धागे को लपेट कर एक गड्डी बनाई जाती है, जिसके बाद इस धागे से साड़ियों को तैयार किया जाता है. ग्रामीण प्राकृतिक रंगों से सिल्क रंगते हैं. यह रेशम छोटे रेशम के कीड़ों द्वारा बनाया जाता है. जब वे शहतूत के फल खाते हैं और एक प्रकार का बढ़िया रेशम पैदा करते हैं. इस महीन धागे का उपयोग मुख्यतः साड़ियां बनाने के लिए किया जाता है.
30 हजार तक की साड़ी
कोसा साड़ी की कीमत ₹2000 से लेकर ₹30000 तक होती है. यहां पर आपको ₹1500 से लेकर ₹30000 तक की अलग-अलग वैरायटी की साड़ियां मिल जाएगी. वहीं ₹1000 से लेकर ₹2000 तक की जैकेट मिल जाएगी. वही शर्ट पैंट के कॉटन के कपड़े ₹300 मीटर मिलेंगे. इसके अलावा खादी, शूटिंग, वस्त्र, खादी गमछा, जैकेट, खादी कुर्ता-पजामा, खेस चादर, कोसा साड़ी, कोसा कुर्ती पीस, जूट पर्स और बांस की बनी सिनरी, मिट्टी के प्रिंटेड थाली सेट ये सब आपको यहां मिलेंगी.
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FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 16:58 IST