कोर्ट वाली माई है खास, केस लड़ने से पहले इस मंदिर में आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं लोग, जानें मां की महिमा

विशाल कुमार/छपरा: सारण में माता का एक ऐसा दरबार है, जहां सबको न्याय मिलता है. कहा जाता है कि राजा- महाराजाओं के जमाने में यहां कोर्ट लगता था. इस जगह फरियादियों की फरियाद सुनकर न्याय का फैसला सुनाया जाता था. कोर्ट परिसर में खुदाई के दौरान, मां की प्रतिमा मिली थी. जिसके बाद लोगों ने पूरे विधि-विधान के साथ प्रतिमा को स्थापित कर दिया था. अपनी फरियाद लेकर पहुंचने वाला हर व्यक्ति कोर्ट न जाकर पहले माता के दरबार में हाजिरी लगाता था और यह सिलसिला आज तक भी जारी है. लोग यहां माथा टेक कर अपने पक्ष में फैसला आने के लिए गुहार लगाते है. वहीं माता की कृपा से लोगों के पक्ष में कोर्ट के ओर से फैसला सुनाए जाने की मान्यता है. जिससे खुश होकर लोग चुनरी और प्रसाद माता को चढ़ाते थे. उसी समय से मां का यह दरबार कोर्ट देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

महादलित पुजारी करते हैं मां की पूजा-अर्चना
मंदिर की खासियत है कि जो इस स्थान के महत्व को दर्शाती है. यहां सदियों से महादलित पूजारी ही पूजा कराते हैं. कोर्ट देवी मंदिर छपरा शहर के बीचो-बीच स्थित है. इस मंदिर में माता अपनी सात बहनों के साथ विराजमान है और इनके दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. जिसको लेकर लोगों की इस मंदिर के प्रति अपार आस्था है. माता के दरबार में सबको न्याय मिलता है. लिहाजा, इस स्थान को कोर्ट देवी के नाम से पहचाना जाता है. इस मंदिर की स्थापना स्थानीय लोगों ने हीं की थी.

कोर्ट माई भक्तों की मुरादें करती है पूरी
स्थापना काल से हीं इस मंदिर में महादलितों के द्वारा पूजा कराने की परंपरा ने छुआछूत की भावना को आस्था पर हावी होने नहीं दिया. खास बात यह है कि यह परंपरा आज भी कायम है. इस मंदिर में आगमन के साथ हीं तमाम तरह के भेदभाव मिट जाते हैं. नवरात्र के मौके पर भक्त कोर्ट देवी पहुंच रहे हैं. इन भक्तों में कुछ ऐसे होते हैं, जो मन्नत मांगने आते हैं, तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो मन्नत पूरी होने पर माता को पुष्प अर्पित करने पहुंचते हैं.

यहां अब भी लगता है कोर्ट
स्थानीय नरेंद्र कुमार पांडे ने बताया कि इस जगह से कोर्ट को हटाकर साइड में कर दिया गया और कोर्ट में हाजिर होने से पहले लोग मां का दर्शन करते थे. माना जाता है कि लोग जो भी मन्नत मांगते थे, उनकी मनोकामना मां पूर्ण करती थी. उसी समय से माता कोर्ट देवी के नाम से मशहूर हो गई. उन्होंने बताया कि यहां छपरा के अलावा दूसरे राज्य से भी श्रद्धालु मां के दर्शन करने और मन्नत मांगने के लिए आते हैं. यहां अब भी पंचायती के रूप में कोर्ट लगाया जाता है और माता को साक्षी मानकर फैसला लिया जाता है. इतना ही नहीं माता को साक्षी मानकर लोग उस फैसले को स्वीकार भी कर लेते हैं.

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