कोर्ट ने पूछा- भगवान हैं या नहीं…? हथुआ थानेदार ने फिर पेश नहीं की मूर्ति

हाइलाइट्स

भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को तीसरी तिथि पर भी न्यायालय में पेश नहीं कर सके हथुआ के थानेदार
हथुआ थाने के मालखाना में मूर्ति है या नहीं, कोर्ट को हुआ शक, जांच के दिये आदेश
गोपालगंज के थाना से भगवान श्रीकृष्ण की रिहाई कराने के लिए चल रही है कई दिनों से प्रक्रिया

रिपोर्ट- गोविंद कुमार

गोपालगंज. बिहार के गोपालगंज के हथुआ थाने में आठ माह से कैद भगवान श्रीकृष्ण की रिहाई के लिए कोर्ट में मंगलवार को भी मूर्ति पेश नहीं हो सकी. हथुआ के थानाध्यक्ष ने तीसरी बार निर्धारित तिथि पर मूर्ति को कोर्ट में पेश नहीं किया. कोर्ट के समक्ष थानेदार ने कहा कि मूर्ति मालखाना में है और मालखाना की चाबी दूसरे पुलिस पदाधिकारी के पास है. पिछले बार की सुनवाई के दौरान भी थानेदार ने यही जवाब दिया था, जिसपर सीजेएम मानवेन्द्र मिश्रा ने थानेदार के वेतन से एक हजार रुपये काटने का आदेश दिया था.

बार-बार न्यायालय के आदेश के बावजूद मूर्ति पेश नहीं करने पर कोर्ट ने थानेदार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए बड़ा आदेश दिया है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता परमेंद्र पांडेय ने लगातार तिथि मिलने और मूर्ति पेश नहीं करने पर कोर्ट को शंका जाहिर करते हुए बताया कि कही मूर्ति मालखाना से गायब तो नहीं हो गयी है.

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अब 12 मार्च को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने थानेदार से पूछा- मालखाना में मूर्ति है या नहीं, यदि है तो पेश क्यों नहीं किया गया. कोर्ट ने यह भी पूछा मालखाना कि चाबी ट्रांसफर होने वाले दूसरे पुलिस पदाधिकारी के पास कब तक रखने का नियम है. पूरे मामले की जांच डीएसपी स्तर के पदाधिकारी से टीम गठित कर कराने के लिए पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया है. साथ ही भगवान की मूर्ति अगली में प्रस्तुत करने का आदेश दिया. कोर्ट ने 12 मार्च को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.

थानाध्यक्ष ने पहले मांगी थी 24 घंटे की मोहलत

दरअसल एक मार्च को हथुआ के थानाध्यक्ष ने सीजेएम कोर्ट में हाजिर होकर 24 घंटे की मोहलत मांगी थी और दो मार्च को दोपहर के दो बजे तक मूर्ति प्रस्तुत करने की बात कही थी. थानेदार ने कोर्ट को बताया कि जिस मालखाना में मूर्ति को रखा गया है, उसकी चाबी दूसरे पुलिस पदाधिकारी के पास है और चाबी नहीं मिलने की वजह से दो मार्च को श्रीकृष्ण की मूर्ति प्रस्तुत नहीं कर सके. कोर्ट ने थानेदार के वेतन से राशि काटते हुए पांच मार्च की तिथि निर्धारित करते हुए मूर्ति को प्रस्तुत करने का आदेश दिया था.

क्या है भगवान का पूरा मामला

हथुआ थाने के बरी रायभान गांव में 1925 से सथापित श्रीराधा-कृष्ण गोपीनाथ मंदिर से चोरों ने 13 फरवरी 2018 कोअष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली. हथुआ थाने में अज्ञात चोरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी. 23 नवंबर 2018 को तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय की ओर से सत्य सूत्रहीन बताते हुए अंतिम प्रपत्र संख्या 211/2018 समर्पित कर दी गयी.  28 फरवरी 2019 को न्यायालय द्वारा अंतिम प्रपत्र स्वीकृत कर लिया गया.

तालाब खुदाई के दौरान मिले थे भगवान

बरीराय भान से तालाब से मिट्टी खुदायी के दौरान 13 जून 2023 को एक अष्टधातु की श्रीकृष्ण की मूर्ति बरामद हुयी थी. इसे थाने के मालखाना में सुरक्षित रखा गया है. कांड के सूचक ने मूर्ति की पहचान करते हुए उसे अपने मंदिर से चोरी होने का दावा किया, इसके बाद पूजा-पाठ भोग के लिए सौंपने की अपील की गयी थी. कोर्ट ने अभियोजन पदाधिकारी हीरालाल गुप्ता को सुना. इस संबंध में थाने से पूर्व में रिपोर्ट की मांग की गयी थी, हथुआ थाना प्रभारी ने रिपोर्ट में राम-जानकी मंदिर की मूर्ति का उल्लेख किया है. तब से भगवान की रिहाइ को लेकर पेंच चल रहा है.

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