कोरोना में नौकरी गई तो शिक्षक से बने किसान, अब गेंदे की खेती से अच्छी हो रही इनकम, जानिए तकनीक

रूपांशु चौधरी/हजारीबाग.भारत कृषि प्रधान देश है. लेकिन पारंपरिक कृषि में कम मुनाफा होने के कारण अब लोग आधुनिक खेती कर रहे हैं. ऐसे ही हजारीबाग के दारू प्रखंड के पेटो पंचायत के रहने वाले अजय कुमार घर के 1.5 एकड़ भूमि में गेंदे की फूल की खेती की है.

अजय कुमार बताते हैं कि एक निजी स्कूल में शिक्षक रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान उनकी नौकरी चली गई थी. उनके घर के कई वर्षो से कृषि हो रहा था लेकिन अभी तक जो खेती की जाती थी वो पारंपरिक कृषि थी. पारंपरिक कृषि में मेहनत अधिक लगती थी वही मुनाफा बेहद कम हुआ करता था. साथ ही मौसम बारिश पर काफी निर्भर होना पड़ता था.

परिवार से मिला अर्थिक सहयोग
अजय कुमार आगे बताते है कि यह कोलकाता गेंदालड्डू फूल की वैरिटी हैं. इस खास वैरिटी के दाने को अजमेर राजस्थान से मंगवाया गया है. पूरे खेत में लगभग 20,000 गेंदे के पौधे लगे हैं जिसको लगाने में मजदूरी सहित 25,000 का खर्च आया है. अभी तक 2,5000 से अधिक के गेंदा फूल तोड़े जा चुके हैं. अभी खेत में महज 2 तुड़ाई हुई है और ये एक पौधा में लगभग 10 तुड़ाई होती है. अनुमान यह कि लगभग इसमें 1,50,000 से अधिक रुपए के गेंदा फूल लगेंगे. इस खेती में परिवार के अन्य लोगो का भी खूब सहयोग रहता है.

अजय कुमार आगे बताते है कि गेंदे के फूल की खेती एक मुनाफे वाली खेती है. साथ ही इसमें कम बीमारियां लगती है. जिससे ये रख रखाव में कोई दिक्कत नही होती. फूलों को बेचने में समस्या नहीं होती है. इन्हें बस या तो आप तोड़ के स्थानीय बाजारों में फूल बेचने वाले को 45 से 50 रुपए किलो या फिर 25 से 30 रुपए प्रति माला बेच देते है. आने वाले दिवाली में ये फूल 50 रुपए प्रति माला तक पहुंच सकते है.

Tags: Local18, Success Story

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