मो. सरफराज आलम/ सहरसा.कोरोना काल में कई लोगों की नौकरी चली गई. लेकिन आपदा की इस घड़ी को जिसने अवसर के रूप में लिया, उसकी स्थिति आज काफी अच्छी है.जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड क्षेत्र के सकरा पहाड़पुर की रहने वाली पूनम कुमारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. कोरोना के दौरान जब उसके पति की नौकरी चली गई, तो बाद में उसने लोन लेकर प्लास्टिक उद्योग खोला. पूनम का मानना है कि कोसी कमिश्नरी में यह पहला प्लास्टिक उद्योग है, जहां से मग, शॉप बॉक्स, टिफिन बॉक्स, बाल्टी, चूड़ी, इलेक्ट्रॉनिक क्लिप्स, केबल किलिप्स, लहठी सहित कई प्लास्टिक का सामना तैयार किया जाता है.
पूनम बताती है कि वह कभी हैदराबाद में अपने पति के साथ रहती थी. उसके पति एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. लेकिन ग्रेजुएशन करने के बाद पूनम घर में अकेली बैठ जॉब करने की सोच रही थी. उसी दौरान कोरोना का संकट आ गया और पूनम के सारे प्लान पर पानी फिर गया. फिर वह अपने पति के साथ अपने घर लौट आई, जहां उसने देखा कि कई लोगों का रोजगार इस कोरोना ने छीन लिया है. कई लोगों के घरों में दाने-दाने की किल्लत हो गई है.
’12 लोगों को दे रही रोजगार’
इसी बीच उसे मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के बारे में जानकारी मिली.पूनम ने लोन के अप्लाई कर दिया. संयोग से उसे 10 लाख का लोन मिल भी गया.पूनम ने बताया कि सबसे पहले उसने प्लास्टिक उद्योग लगाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद नोएडा से कई मशीन मंगवाकर खुद का प्लास्टिक उद्योग खोला. जहां वह न केवल खुद समय देती है, बल्कि 10 से 12 लोगों को रोजगार भी दे रही है. पूनम अपने कारोबार को और भी आगे बढ़ना चाहती है.
शुरुआती दिनों में हुई थी काफी दिक्कत
पूनम बताती है कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन धीरे-धीरे लोगों की दुकानों तक उनका प्रोडक्ट पहुंचता गया और उसकी डिमांड बढ़ती चली गई. अब अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक दुकानों में यहां से तैयार सामान भेजा जाता है. पूनम बताती है कि आने वाले दिनों में दूसरे राज्य की निर्भरता को खत्म कर देगी. दुकानदारों को अभी भी प्लास्टिक का कई सामान अन्य राज्यों से लाना पड़ता है. उन्हें अपने जिले में ही बेहतर क्वालिटी का सामान मिल जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2023, 21:47 IST