कोरबा में 60 हाथियों ने प्रचार पर लगाया ब्रेक, मतदान में बन सकते हैं बाधक

कोरबा. छत्तीसगढ़ के सीमाई इलाकों सरगुजा और कोरबा में चुनाव प्रचार में हाथी लगातार बाधा बने हुए हैं. यहां हाथियों का इतना आतंक है कि सूरज ढलने के पहले ही चुनाव प्रचार थम जाता है. मतदान में ये हाथी बाधा न बनें इसलिए मतदान केंद्रों पर वन अमला भी तैनात किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के पाली तानाखार और रामपुर विधान सभा क्षेत्र हाथी प्रभावित हैं. यहां शाम ढलने से पहले प्रचार थम जाता है. मतदान केन्द्रों तक पर हाथियों के हमले का डर बना हुआ है. मतदान केन्द्रों से हाथियों को दूर रखने के लिए विभाग ने स्टाफ की ड्यूटी लगायी है.

प्रचार पर हाथी ब्रेक
कोरबा में चुनाव प्रचार पर हाथी ब्रेक लगा रहे हैं. यही कारण है कि कई क्षेत्रों में सूरज ढलने से पहले ही प्रचार थम जाता है. छत्तीसगढ़ के ये वे इलाके हैं जहां दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान होना है. विधानसभा चुनाव का प्रचार अब शबाब पर होना चाहिए था क्योंकि अब सिर्फ तीन दिन ही बाकी रह गए हैं. बुधवार 15 नवंबर शाम 5 बजे प्रचार थम जाएगा. प्रत्याशी इस दौर में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. लेकिन हाथी का डर उन्हें रोक रहा है.

शाम होते ही सन्नाटा
पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्र के हाथी प्रभावित गांवों में ऐसा खौफ है कि शाम को अंधेरा होने के पहले ही प्रचार थम जाता है. मुख्य मार्ग को जोड़ने वाली सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है. क्योंकि कब कहां से हाथियों का झुंड आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. हाथी कभी भी सड़क पार करते हुए आसपास ही घूमते रहते हैं. कोई भी राजनीतिक दल शाम होने के बाद चुनाव प्रचार में खतरा मोल नहीं लेना चाहता है.

Chhattisgarh Elections : कोरबा में 60 हाथियों ने प्रचार पर लगाया ब्रेक, मतदान में बन सकते हैं बाधक, मतदान केंद्रों पर वन अमला तैनात

धान कटाई में व्यस्त किसान
दूसरी तरफ धान खरीदी शुरू हो चुकी किसान अपने खेतो में धान की कटाई में जुटे हैं. उन्हें भी हाथियों का डर सत्ता रहा है. कोरबा जिले का कटघोरा वन मंडल इन दिनों हाथिंयो से ज़्यादा प्रभावित है. चोटिया से कोरबी पाली के बीच और कोरबी से पसान के बीच हाथियों को मूवमेंट अधिक रहता है. इसके साथ ही एन एच 130  में चोटिया से केंदई के बीच कभी भी हाथी सड़क पर आ जाते हैं. अभी 30  हाथियों का झुंड कोरबी के आसपास और पसान में 15 से अधिक  हाथियों का झुंड घूम रहा है. झुंड एक दिन में 15  से 20  किलोमीटर की दूरी तय करता है. इसकी वजह से यह पता ही नहीं चलता कि कहां, कब हाथी पहुंच जाएं. चोटिया के लोगों का कहना है भीतरी सड़कों में शाम होने के बाद आवाजाही बंद हो जाती है. राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता भी अंधेरा होने के पहले लौट जाते हैं.

दोहरी समस्या
हाथियों के कारण किसानों और नेताओं के सामने समस्या बनी हुई है. किसानों को सालभर की और प्रत्याशियों को 5 साल की मेहनत पर पानी न फिर जाए इसकी चिंता है. छत्तीसगढ़ में अब 17 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होना है. हाथी के कारण प्रचार में बाधा बनी हुई है. दूसरी तरफ किसान धान कटाई में व्यस्त. राजनीतिक दलों को डर है कि वो प्रचार कम कर पा रहे हैं. और फिर हाथीं कहीं मतदान केंद्रों को प्रभावित न कर दें. दूसरी तरफ खेत में व्यस्त किसान वोटिंग के लिए मतदान केंद्रों तक आते हैं या नहीं. किसानों को भी हाथियों का डर सत्ता रहा है. कहीं हाथी उनके साल भर की मेहनत पर हाथी पानी न फेर दें.

हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग की टीम तैनात
हाथियों की बढ़ती संख्या और उत्पात के बीच प्रभावित क्षेत्र क्षेत्रों 61 से भी अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं. पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्र सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं. कटघोरा वन मंडल के डी एफ ओ कुमार निशांत में बताया कटघोरा वन मंडल के अलग अलग रेंज में 60 हाथियों का दल मौजूद है. वन अमला नियमित निगरानी कर रहा है. हाथी प्रभावित मतदान केंद्र के मतदाताओं से अपील की है कि शाम ढलने से पहले 17 नवंबर को अपना मतदान करें. हाथियों को प्रभावित मतदान केन्द्रों से दूर भगाने के लिए वन विभाग के अधिकारियो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

Tags: Chhattisgarh Assembly Elections, Elephants are reaching the village, Korba news

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