शक्ति सिंह/कोटा:- कोटा विश्वविद्यालय के कौशल विकास केंद्र की ओर से यूनिवर्सिटी कैंपस स्थित स्किल डेवलपमेंट सेंटर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में ‘डिकोडिंग एंटरप्रेन्योरशिप्स इन ट्यूरिज्म इंडस्ट्री’ विषय पर संबोधित किया गया. कार्यशाला में पर्यटन उद्योग में उद्यमिता, रोजगार और स्टार्टअप के बारे में जानकारी दी गई.
कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि भारतीय पर्यटन की दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों का कारण पर्यटन क्षमता की कमी नहीं हैं, बल्कि प्रचुर पर्यटन क्षमता का उपयोग न हो पाना कारण है. पर्यटन क्षेत्र में नए कोर्स, स्टार्टअप और नवाचारों की बहुत जरुरत है. पर्यटन के क्षेत्र में फिलहाल ज्यादा कोर्स नहीं हैं, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत पर्यटन शिक्षा को भी महत्व दिया गया है. पर्यटन शिक्षा भविष्य में अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है. नई शिक्षा नीति के तहत ऐसे नए पाठ्यक्रम तैयार करके इसे रोजगार से जोड़ा जाना संभव होगा.
स्टार्टअप की जानकारी का अभाव
डॉ. आर. के. उपाध्याय ने कहा कि आज स्टार्टअप काफी ट्रेंड में हैं और युवाओं को आकर्षित भी करता है. लेकिन युवाओं को स्टार्टअप के बारे में उचित जानकारी का अभाव रहता है. युवाओं को प्रारंभिक स्तर पर उचित जानकारी दी जाए, तो पर्यटन के क्षेत्र में भी नवाचार और स्टार्टअप खड़े हो सकते हैं.
पर्यटन क्षेत्र में इतने प्रतिशत की वृद्धि
प्रतीक शाबानी ने कहा कि भारतीय पर्यटन उद्योग भारत में सबसे बड़े रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में से एक है. गत वर्षों में भारत के पर्यटन क्षेत्र में तकरीबन 40 मिलियन करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे देश के कुल रोजगार का 8% था. पर्यटन क्षेत्र में मांग के अनुरूप पेशेवर की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसके बावजूद भारत में विश्व जनसंख्या का लगभग 15% और विश्व क्षेत्रफल का 2.5% हिस्सा है. लेकिन विश्व पर्यटन बाजार में इसकी हिस्सेदारी केवल 0.40% है. साल 2006 में विश्व के शीर्ष 60 पर्यटन स्थलों में भारत का स्थान 47वां स्थान था. डॉ. अनुकृति शर्मा ने बताया कि सभी छात्र-छात्राओं को स्किल डेवलपमेंट सेंटर की ओर से प्रमाण पत्र दिया गया. इस दौरान छात्र-छात्राएं विभिन्न समूहों में अलग से परिचर्चा भी की.
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FIRST PUBLISHED : January 27, 2024, 16:44 IST