कोई खिलाड़ी देश से बड़ा नही, ईशान और श्रेयस ने बीसीसीआई की अवहेलना का खामियाजा भुगता

क्रिकेट के खेल में आजकल बहुत कम समय में खिलाड़ी ‘स्टार’ बन जा रहे हैं। निश्चित रूप से इसका श्रेय आईपीएल को दिया जाना चाहिए। हर साल होने वाले इस टूर्नामेंट में जोरदार प्रदर्शन करके ढेरों युवा भारतीय टीम में शामिल होने का सपना देखते हैं। कुछ तो जल्द सफलता हासिल कर लेते हैं जबकि कुछ को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो टीम में प्रवेश तो पा जाते हैं लेकिन फिर अंदर बाहर होते रहते हैं। इन्हीं में से एक प्रतिभाशाली ईशान किशन हैं जिन्हें अभी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ईशान किशन और श्रेयस अय्यर का मामला आजकल चर्चा में है। इन दोनों को बीसीसीआई ने अपनी अनुबंध सूची से बाहर कर दिया है। बीसीसीआई की अवहेलना का खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ा है। पहले ईशान की बात करते हैं। वनडे विश्व कप में वह भारतीय टीम में थे लेकिन केवल दो मैच ही खेल पाए। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जब भारतीय टीम गई तो ईशान ने कोच राहुल द्रविड़ से ब्रेक मांग लिया। यानी खेलने में असमर्थता जता दी। जाहिर है, बाएं हाथ का यह विकेटकीपर बल्लेबाज लगातार बेंच पर बैठने से हताश निराश हो गया था। अफगानिस्तान के खिलाफ तीन टी−20 मैचों की सीरीज में भी उसे मौका नहीं दिया गया। उसकी जगह जितेश शर्मा को आजमाया गया।

ईशान को जरूर यह लगा होगा कि उसे टीम में तो रखा जा रहा है लेकिन अंतिम एकादश में खेलने का मौका नहीं मिल रहा। एक युवा मन का आक्रोश भी कभी−कभी बाहर आ जाता है। वनडे विश्व कप में लगभग एक ही एकादश हर मैच में उतारा गया। चूंकि भारतीय टीम लगातार जीत रही थी इसलिए कोच और कप्तान ने कोई बदलाव किया ही नहीं। फाइनल मुकाबले में हार से पहले टीम इंडिया ने हर मैच जीता था। हो सकता है ईशान किशन ने ब्रेक लेकर अपनी भड़ास निकाली हो। उसे लग गया कि दक्षिण अफ्रीका दौरे में केएल राहुल के रहते उसे अब मौका फिर नहीं मिलेगा। यहां तक तो ठीक था लेकिन भारत आकर ईशान ने अपने को घरेलू क्रिकेट से दूर कर लिया। बीसीसीआई के निर्देशों के बावजूद उसने अपनी झारखंड टीम की ओर से कोई मैच नहीं खेला। वह हार्दिक पांड्या के साथ अभ्यास में जुटा रहा। चुकि आईपीएल में मुंबई इंडियंस के नए कप्तान पांड्या हैं इसलिए वह पांड्या से नजदीक चला गया। इसी बीच बीसीसीआई की ओर से यह खबर आई कि जो खिलाड़ी बिना घरेलू क्रिकेट खेले सीधे आईपीएल खेलना चाहते हैं, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। ईशान ने इस निर्देश को भी नजरंदाज कर दिया। यही वजह है कि उसे कांट्रैक्ट लिस्ट से बाहर होना पड़ा है। एक होनहार खिलाड़ी को अनुशासन में रहना चाहिए। 

बीसीसीआई देश में इस खेल की नियंता है। आप जिस संस्था के अधीन काम करते हैं उसकी अवहेलना करके कैसे रह सकते हैं? देश में युवा खिलाडि़यों की भरमार है। कोई खिलाड़ी यह समझ लेगा कि उसके बिना काम नहीं चल सकता तो यह उसकी भूल है। मौजूदा इंग्लैंड सीरीज इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। विराट कोहली निजी कारणों से उपलब्ध नहीं रहे। मोहम्मद शमी चोटिल होने के कारण नहीं खेल सके। इसके बावजूद भारतीय टीम ने इंग्लैंड से टेस्ट मैचों की यह सीरीज जीत ली है।  कोई भी खिलाड़ी देश से बड़ा नहीं है। भारत को 1983 में विश्व कप विजेता बनाने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव ने भी इस विचार का समर्थन किया है। दरअसल, खेलों में अनुशासन का पालन भी करना होता है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

श्रेयस अय्यर का मामला भी इसी वजह से बिगड़ा। इंग्लैंड के साथ खेली जा रही टेस्ट सीरीज में उन्हें मौका दिया गया। पर, इसी दौरान वह अनफिट हो गए। श्रेयस बार−बार चोटिल होकर टीम से बाहर होते रहे हैं। पिछले आईपीएल सीजन में वह एक भी मैच नहीं खेल पाए। जब अस्वस्थ होने के कारण टीम से छुट्टी हो गई तो उन्हें आराम करके रणजी मैच खेलने चाहिए थे। मगर, उन्होंने भी बीसीसीआई के निर्देशों का पालन नहीं किया। इसके बाद अनुबंध सूची से उनको भी हटा दिया गया। बीसीसीआई घरेलू क्रिकेट को मजबूत करना चाहती है। यही वह आधार है जिस पर खड़े होकर खिलाड़ी आगे बढ़ते हैं। रणजी मुकाबले में खेल कर कई खिलाड़ी भारतीय टीम में वापसी कर लेते हैं। चेतेश्वर पुजारा और अंजिक्य रहाणे वरिष्ठ क्रिकेटर हैं। इसके बावजूद खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा। मगर, इन दोनों ने इस उम्मीद में  रणजी मैच खेले कि इसमें अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो चयनकर्ताओं की नजर पड़ जाएगी। पुजारा ने तो काफी रन भी बनाए और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में उनकी वापसी की उम्मीद भी बन रही थी। खिलाड़ी कितना भी बड़ा हो वह खेल के नियमों, मर्यादा अथवा देश से बड़ा नहीं हो सकता। हो सकता है, ईशान किशन और श्रेयस अय्यर को यह बात अब समझ में आ गई होगी।

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