कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़कर युवक ने शुरू किया बकरी पालन, अब सालाना हो रही लाखों में कमाई

दीपक कुमार/ बांका: हर युवक का सपना रहता है कि पढ़-लिखकर अच्छी सैलरी वाली सरकारी नौकरी करें. वहीं कुछ युवा प्रोफेशनल कोर्स कर एमएनसी में बेहतर पैकेज पर नौकरी करना चाहते हैं. लेकिन, हाल ए कुछ वर्षों में यह ट्रेंड बदला है. अब युवा अच्छी पैकेज की नौकरी छोड़ कृषि से जुड़े व्यवसाय में जुड़ रहे हैं. ऐसी हीं कहानी बांका जिला के युवा संदीप कुमार की है. संदीप ने दिल्ली में अमेजन जैसी एमएनसी की नौकरी छोड़ वापस गांव आ गए और बकरी पालन शुरू कर दिया. संजीव ने 2018 में कुछ बकरियों से इसकी शुरुआत की और अब इनके पास ब्लैक बंगाल नस्ल की 45 से अधिक बकरियां है. पिछले वर्ष हीं सक्सेस टेल्स ऑफ़ बिहार फार्मर्स नामक पुस्तक में इनकी कहानी भी छपी है. संदीप सालाना पांच लाख से अधिक की कमाई भी कर रहे हैं.

एक कहावत है कि सफलता तब मिलती है, जब हमारे सपने हमारे बहानों से बड़े हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ बांका जिला के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत मुजाहिदपुर गांव निवासी संदीप कुमार के साथ हुआ. संदीप कुमार दिल्ली में अमेज़न कंपनी में रात दिन मेहनत के बाद भी वह सफलताएं नहीं मिल पा रही थी जिससे वह संतुष्ट हो सके. इसके बाद इंटरनेट के माध्यम से बकरी पालन का आइडिया मिला. इसके बाद गांव आ गए और बकरी पालन शुरू कर दिया. 2018 में एक बकरी से शुरुआत की थी. इसके बाद धीरे-धीरे 40 से 45 बकरियां हुई. पिछले वर्ष हीं सक्सेस टेल्स ऑफ़ बिहार फार्मर्स नामक पुस्तक में इनकी कहानी भी छपी है. उन्होंने बताया कि बांका कृषि विज्ञान केंद्र से निर्देशन पर 3500 रुपए में ब्लैक बंगाल नस्ल पहली बकरी खरीदी थी. बकरी पालन के साथ समेकित किसानी भी कर रहे हैं.

केवीके के सहयोग से कर रहे हैं बकरी पालन
संदीप ने बताया कि बकरी पालन कमाई का एक अच्छा जरिया है.बकरी से प्राप्त होने वाले मल एवं छोड़े गए चारा से उत्पादित होने वाली खाद से प्रत्येक दिन लगभग 200 रुपए की कमाई होती है. ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी पालन करते हैं जो मूल रूप से देसी बकरियां हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक नें बताया था कि देसी नस्ल की बकरी हीं इस क्षेत्र के लिए सही होता है और उसी का पालन करने में फायदा होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि देसी नस्ल की बकरियां 25 से 30 किलो तक तैयार होने में 12 महीने लगते हैं जो आसानी से बाजार में बिक जाते हैं.

20 हजार तक में बिकता है एक बकरा
संदीप ने बताया कि देसी बकरी या ब्लैक बंगाल नस्ल को सामान्य चारे के रूप में चावल, गेहूं, मक्के का दर्रा, हरी घास और हरा पत्ता खिलाते हैं. जिसमें एक बकरे को तैयार करने में 3 से 4 हजार खर्च होता है. वहीं एक बकरा 20 हजार तक में आसानी से बिक जाता है. इससे सालाना 5 लाख की आराम से हो जाता है. फिलहाल संदीप कुमार के पास 10 बकरियां चार छोटे-छोटे बच्चे हैं. उन्होंने बताया कि बकरी पालन करने के लिए कम से कम 10 फीट की हर बकरियों के बीच की दूरी होनी चाहिए साथ हीं बताया कि इस बार बड़ा शेड बनाकर 400 से 500 बकरियों को पालने के प्लान पर काम कर रहे हैं.

Tags: Bihar News, Farming, Local18

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