भरत तिवारी/ जबलपुर: भोलेनाथ की पसीने की बूंद से प्रकट होने के बाद अमृता नाम की नदी माँ नर्मदा के नाम से आज कैसे जानी जाती हैं. क्या आप जानते हैं, स्त्री रूप धारण करने के बाद माँ नर्मदा ने अपने पिता यानि स्वयं महादेव की लगभग 10 हज़ार वर्षो तक तपस्या की उसके बाद उनकी तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ ने उनसे वरदान मांगने को कहा. माँ नर्मदा ने वरदान स्वरुप माँगा की चाहे प्रलय हो और जगत के नष्ट हो जाने पर भी मैं अक्षय यानि अमर होना चाहती हूँ. संसार चाहे कितनी भी बार नष्ट क्यों ना हो जाए लेकिन आपकी कृपा से मैं हमेशा अक्षय रहना चाहती हूँ. कोई कितना भी बड़ा पापी क्यों ना हो मेरे स्नान से उनके सभी पाप धूल जाए. जिस प्रकार उत्तर में गंगा पापो को नष्ट करती हैं उसी प्रकार दक्षिण दिशा में मेभी पाप मोक्षिणी होना चाहती हूँ. पृथ्वी के सभी तीर्थों में जितना फल मिलता है, मैं चाहती हूँ मेरे स्नान से भी मनुष्यो को उतने ही फल की प्राप्ति हो. और इसके अलावा मेरे तट पर माँ पारवती के साथ आप स्वयं निवास करें. तब भोलेनाथ ने अमृता को वरदान दिया और कहा आप मेरे देह से उत्पन्न है. इसलिए आप सभी पापो को नष्ट करने वाली होंगी. और स्वयं मै तुम्हारे तट पर निवास करूँगा और अमृता को ऐसा वरदान देकर महादेव अंतर ध्यान हो गये और उसके बाद माँ नर्मदा तीनो लोगो में प्रसिद्ध होगी.
अमृता से नमर्दा के नाम तक की कहानी अभी अधूरी थी. ये तो पता चल गया था की माँ नर्मदा को पूजा क्यों जाता है लेकिन अमृता कही जाने वाली नदी का नाम नर्मदा कैसे पड़ा. नर्मदा पुराण के अनुसार भोलेनाथ के पसीने से उत्पन्न उस स्त्री के सौंदर्य को देख देव असुर सब उस पर मोहित होने लगे. सभी उसके करीब जाने की कोशिश करने लगे लेकिन कोई भी उसके करीब नहीं जा पा रहा था. तब महादेव ने कहा जो भी बल और तेज़ से अधिक होगा वही इस कन्या को प्राप्त करेगा. लेकिन कोई उसे प्राप्त ना कर सका कई वर्षो तक वो कन्या सभी देवी देवताओ को भ्रमित करती रही लेकिन अचानक वो कन्या एक दिन भगवान् शिव के पास दिखाई दी तब भोले नाथ ने उस कन्या को नर्मदा नाम दिया. जिसका अर्थ है सभी में निविदा भावनाओं को उत्तेजित करने वाली और तभी से तीनों लोकों में अमृता मां नर्मदा के नाम से प्रसिद्ध हो गई.
क्या है मां नर्मदा के विभिन्न नामों के पीछे की कहानी.
नर्मदा पुराण के अनुसार माँ नर्मदा को 13 नमो से जाना जाता है. जिनमे शोण , महानदी, मंदाकनी, महापुण्य प्रदा त्रिकुटा, चित्रोपला, विपाशा, बालवाहिनी, महार्णव विपाषा, रेवा, करभा, रुद्रभावा और एक नर्मदा जो हम सभी जानते हैं .
अनेको पौराणिक ग्रंथो के अनुसार कई बार संसार का अंत हुआ और कई बार भोलेनाथ ने संसार को पुनः स्थापित किया लेकिन माँ नर्मदा कभी क्षीण नहीं हुई. हर बार वह संसार की उत्पत्ति में भोलेनाथ के साथ रही और तब श्रृष्टि की पुनः रचना के बाद भोले नाथ ने उन्हें वरदान देते हुए कहा की तुम्हारे दर्शन से पाप रुपी रोगो से मनुष्यो को मुक्ति मिलेगी. तब सभी पापो को नष्ट करने वाली महानदी नर्मदा दक्षिण दिशा की और निकल गई. तब घोर महार्णव में दिखाई दें के कारण माँ महार्णव कहलाई, रुद्र देह से निकली हुई, सभी के लिये पुण्यकारक, और सभी नदियों में श्रेष्ठ भगवान् शिव की कृपा से महापुण्यलमा कही गई. सुरसरित् नर्मदा कभी दूषित नहीं होती और मनुष्यों को अभय देने वाली और कृपा करने वाली है. संसार सागर में मग्नों पर कृपा करने के कारण कृपा पूर्व में कृत युग में दिव्य मन्दार से भूषित, पश्च कमलों से युक्त कल्पवृक्ष की तरह तथा मन्द मन्द बहने के कारण मंदाकिनी कहलाई. महार्णव को भेटकर वेगपूर्वक यहाँ प्राप्त हुई और सिद्ध सुरगणों से प पूजित हुई अतः महार्णव संज्ञा को प्राप्त हुई. विचित्र कमल समूहों से युक्त हाथी, रोक्ष, ब्राह्मणों से घिरी हुई महान पर्वत को भेदकर महार्णव में विलीन हुई. सभी दिशाओं में जल के वेग से घूमती हुई, तैर ती हुई शोभित होने के कारन रेवा नाम से प्रसिद्ध हुई.
स्त्री पुत्र कलत्र आदि के मोहपाश से बंधे हुए मनुष्यों को बन्धनों से मुक्त करने के कारण विपाशा नाम हुआ. मल-मूत्रादि में मग्न, धूलि, रक्तादि के कीचड़ में मस्त मनुष्यों को मुक्ति प्रदान करने वाली, विमल नेत्रों वाली, चन्द्रमुखी नर्मदा संसार सागर से मुक्त करने वाली विपाशा नाम से कही गई. महाघोर तम से आवृत में महाप्रभा, विमला नाम से प्रसिद्ध हुई. सुधाकर करों से प्रसिद्ध, हिमांशु के समान, लोकों का रंजन करने के कारण विद्वानों ने इन्हें रजनी कहा. तृण, वीरुध, गुल्म, तिर्यक्, पशु पक्षी, बालुका आदि को स्वर्ग प्रदान करने वाली होने से बालुवाहिनी के नाम से प्रसिद्ध हुई.
इस कहानी से आपको ये तो समझ में आया होगा की हम माँ नर्मदा को पूजते क्यों हैं लेकिन क्या आप जानते हैं माँ नर्मदा में मिलने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग क्यों कहा जाता है कैसे नर्मदा में मिलने वाले शिवलिंग नर्मदादेश्वर शिवलिंग बने, क्यों इन शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा नही की जाती. इस सवाल का जवाब जानिए हमारे साथ माँ नर्मदा की इस रोचक कहानी के अगले अध्याय में सिर्फ लोकल 18 पर.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 13:24 IST