कैलेंडर से गायब हो गए 10 दिन, पूरी दुनिया पर पड़ा असर, चकरा गया लोगों का सिर

कैलेंडर को आज के स्‍वरूप में आने में कई सदियां लग गईं. इस बीच कई ऐसी गलतियां हुईं, जिनसे पूरी दुनिया पर असर पड़ा. कई बार तो नए बदलावों को कई देशों ने मानने तक से इनकार कर दिया. कुछ ऐसी ही अजीब घटना तब हुई, जब ग्रेगोरियन कैलेंडर से 10 दिन गायब हो गए. दरअसल, साल 1582 के कैलैंडर में अगर आप अक्‍टूबर के महीने को देखें तो पाएंगे उसमें 4 अक्‍टूबर के बाद सीधे 15 अक्‍टूबर की तारीख नजर आती है. साफ है कि अक्‍टूबर 1582 में 10 दिन कम थे. क्‍या आप जानते हैं कि ऐसा क्‍यों हुआ? गायब हुए इन 10 दिन के पीछे क्‍या रहस्‍य है? किसने ये 10 दिन गायब किए?

दुनियाभर में आज हम जिस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं, उसे ही ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है. इसे साल 1582 में पोप गेगोरी-13 के नाम पर बनाया गया था. इसके पहले तक दुनियाभर में जूलियन कैलेंडर का इस्‍तेमाल होता है. इसे जूलियस सीजर के नाम पर बनाया गया था. जूलियन कैलेंडर में 12 के बजाय 11 महीने ही होते थे. फरवरी में अभी की तरह 28 दिन होते थे. बाकी महीनों में 30 या 31 दिन होते थे. सूर्य की गति पर चलने वाले जूलियन कैलेंडर में हर साल 11 मिनट 14 सेकेंड कम हो जाते थे. नतीजा ये हुआ कि कैलेंडर हर 314 साल में करीब 1 दिन पीछे खिसक रहा था.

जूलियन कैलेंडर में सुधार की जरूरत क्‍यों पड़ी?
जूलियन कैलेंडर 16वीं सदी आते-आते 10 दिन पिछड़ गया था. इसी कमी को दूर करने के लिए ग्रगोरियन कैलेंडर बनाया गया. अमेरिकन एस्‍ट्रोफिजिसिस्‍ट और साइंस कम्‍युनिकेटर नील डिग्रैस टायसन ने एक बताया कि कैलेंडर के पीछे खिसकने से सबसे बड़ी समस्या ईस्टर की तारीख की गणना करने में बढ़ती कठिनाई थी. निकेया की परिषद ने 325 में तय किया था कि ईस्‍टर पहली पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले पहले रविवार को मनाया जाएगा. हालांकि, बाद में कैलेंडर के पीछे खिसकने के कारण ईस्‍टर की तारीख तय कर पाना काफी मुश्किल होने लगा था. कैलेंडर में सुधार के लिए मध्य युग में पोप के सामने कई प्रस्ताव पेश किए गए थे.

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जूलियन कैलेंडर में 11 महीने होते थे. ऐसे में हर साल से 11 मिनट 14 सेकेंड कम हो रहे थे.

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कैलेंडर में अक्‍टूबर क्‍यों हटा दिए गए 10 दिन?
पोप ने प्रस्‍तावों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की और त्रुटिपूर्ण जूलियन कैलेंडर ईसाई चर्च का आधिकारिक कैलेंडर बना रहा. ट्रेंट काउंसिल ने 1562-63 के सत्र में एक डिक्री पारित की. इसमें पोप से एक संशोधित कैलेंडर लागू करके ईस्‍टर की तारीख तय करने की समस्या को ठीक करने का आह्वान किया. इसका सही समाधाना खोजने और लागू करने में दो दशक का समय लग गया. दो दशक के परामर्श और शोध के बाद पोप ग्रेगरी 13वें ने फरवरी 1582 में सुधार के साथ नया कैलेंडर पेश किया. इसमें 4 अक्टूबर के बाद सीधा 15 अक्टूबर की तारीख लिखकर घटे हुए 10 दिन को पूरा किया गया. नए कैलेंडर को पोप के नाम पर ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाने लगा.

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किसने कैलेंडर में किए सुधार, पर्वों पर पड़ा असर
जूलियन कैलेंडर में सुधार इटली के वैज्ञानिक लुइगी लिलियो के सुझावों पर आधारित थे. इसमें जेसुइट गणितज्ञ और खगोलशास्‍त्री क्रिस्टोफर क्लैवियस ने कुछ संशोधन किए थे. नए कैलेंडर को लागू करने का सबसे अवास्तविक हिस्सा अक्टूबर 1582 में आया, जब वर्नल एक्विनॉक्‍स को 11 मार्च से 21 मार्च करने के लिए कैलेंडर से 10 दिन हटा दिए थे. चर्च ने किसी भी प्रमुख ईसाई त्योहार को छेड़ने से बचने के लिए अक्टूबर को चुना था. इसलिए नए कैलेंडर को अपनाने वाले देशों में 4 अक्टूबर 1582 को असीसी के सेंट फ्रांसिस का पर्व सीधे 15 अक्टूबर को मनाया गया. फ्रांस ने दिसंबर में अलग से परिवर्तन किया.

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ईस्‍टर की तारीख तय करने में आने वाली समस्‍याओं को दूर करने के लिए कैलेंडर में सुधार किया गया था.

10 दिन गायब होने से क्‍या आई बड़ी समस्‍या?
नए कैलेंडर को लागू करने जैसी जटिल चीज कुछ जटिलताओं के बिना पूरी नहीं हो सकती है. सबसे बड़ी समस्‍या हुई कि प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स देश पोप से निर्देश नहीं लेना चाहते थे. इसलिए उन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इनकार कर दिया. नतीजा ये हुआ कि कैथोलिक यूरोप-ऑस्ट्रिया, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, पोलैंड और जर्मनी के कैथोलिक राज्य अचानक महाद्वीप के बाकी हिस्सों से 10 दिन आगे निकल गए. इसकी सबसे बड़ी दिक्‍कत ये हुई कि सीमा पार यात्रा करने का मतलब अक्सर आगे या पीछे की यात्रा करना होता था. आखिर में गैर-कैथोलिक देशों ने भी ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाना शुरू कर दिया. फिर 17वीं शताब्दी में जर्मनी और नीदरलैंड के प्रोटेस्टेंट क्षेत्र भी बदल गए. ब्रिटिश साम्राज्य ने 1752 में इसको माना और पूरी दुनिया में इसका प्रचार किया.

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