दीपक पाण्डेय/खरगोन. सिकल सेल एनीमिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है. जो कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक मानी जाती है. रोगी को ठीक करना नामुमकिन है. ये बीमारी अनुवांशिक है, जन्म के साथ पैदा होती है. बीमारी से ग्रसित मरीज की आयु कम होने लगती है. समय से पहले उसकी मौत हो जाती है. लेकिन, समय रहते अगर इलाज कराए और थोड़ी सावधानी रखें, तो बीमारी को ना सिर्फ बड़ने से रोका जा सकते है. बल्कि इसे खत्म भी कर सकते है.
दरअसल, साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिकल सेल मिशन’ लॉन्च किया था. इसके बाद बीते वर्ष 2023 में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत हुई. इसके बाद लोगों की स्क्रीनिंग शुरू हुई. भारत सरकार की ऑफिसियल वेबसाइट के आंकड़ों पर नजर डाले तो स्क्रीनिंग के बाद 1 लाख 11 हजार 661 लोग सिकल सेल डिसीज के आइडेंटिफाई हो चुके है. केंद्रीय बजट 2023-24 में भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को सिकल सेल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.
पौने तीन लाख लोगों की हुई स्क्रीनिंग
यह बीमारी सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) समाज के लोगों में पाई गई है. मध्य प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा मरीज इस बीमारी से ग्रसित पाएं गए. खरगोन जिला भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां भी 2 लाख 78 हजार 783 लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इसमें लगभग 1240 लोग सिकल सेल डिसीज के आइडेंटिफाई हुए है. जबकि 4244 लोग ट्रेड है. यें वो लोग है जिनमें लक्षण नहीं है, लेकिन उनसे पैदा होने वाली संतान इस बीमारी से ग्रसित हो सकती है.
कैसे पता चलता है बीमारी है या नहीं
खरगोन जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अमर सिंह चौहान ने बताया की यह अनुवांशिक बीमारी है. सामान्य तौर पर इसके लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन इस बीमारी से ग्रसित मरीज में खून की कमी होने लगती है. शरीर में दर्द होता है. ऐसे व्यक्ति अस्पताल में फ्री में सिकल सेल की जांच करवाकर पता लगा सकते है. खरगोन के सभी सरकारी अस्पतालों में इसकी प्राथमिक जांच की सुविधा उपलब्ध है.
कैसे होता है ट्रीटमेंट
सिकल सेल एनीमिया पॉजिटिव मरीज के इलाज के लिए अस्पताल डे केयर सेंटर संचालित है. सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक यहां ऐसे मरीजों को फ्री में ब्लड चढ़ाया जाता है. अभी तक करीब 882 सिकल सेल मरीजों को ब्लड चढ़ा चुके है.
मरीजों में आ जाती है विकलांगता
सिकल सेल के मरीजों में खून की कमी होने से जहां जहा सेल क्राइसिस होती है. उस स्थान पर बल्ड सर्कुलेशन रूक जाता है. जिससे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते है और मरीज विकलांगता का शिकार हो जाते है.
क्या है रोकथाम के उपाय
अनुवांशिक तौर पर होने वाली इस बीमारी से ग्रसित गंभीर मरीज को ब्लड के साथ मेनिंगोकोक्ल वैक्सीन के टिके लगाए जाते है. इससे मरीज का जीवन आसान हो जाता है. तकलीफ कम हो जाती है. आयु बढ़ जाती है. लेकिन, इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए अबतक कोई इलाज नहीं है. हां, एक उपाय जरूर है. इस बीमारी से ग्रसित युवक या युवती उसी से शादी करे जो सिकल सेल पॉजिटिव हो.
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इमेज से पता चलेगा सिकल सेल है या नहीं
एनआईटी की शेंकी गर्ग ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है. जिसकी मदद से सिर्फ सिकल सेल की समस्या की पहचान अर्ली स्टेज में की जा सकेगी. यह मॉडल उन्होंने बीते सोमवार रायपुर (छत्तीसगढ़) में एनआईटी रायपुर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान प्रौद्योगिकी की ओर से आयोजित हुए 19 वें छत्तीसगढ़ यंग साइंटिस्ट कांग्रेस के आयोजन में पेश किया था. मॉडल की खासियत है की व्यक्ति की इमेज के जरिए ही पता चल जाएगा की सिकल सेल है या नहीं.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 10:02 IST