केवल 1-2% वोट के हेर-फेर से सीटों के हार-जीत समीकरणों में आता है बदलाव

हाइलाइट्स

बीजेपी रिटायर्ड अफसरों में आईपीएस, आईएएस, आयकर और ज्यूडिशियरी को जोड़ रही
राजस्थान की सियासत में 4-6 प्रतिशत वोट स्विंग होने से बदल जाती है सत्तारूढ़ सरकार
कांग्रेस, बसपा, आरएलएपी के नेताओं और समाज-संगठनों के प्रभावशाली लोगों पर नजर

रिपोर्ट – एच. मलिक

जयपुर. राजस्थान में राजनीति की चौसर पर सत्ता बदलने के रिवाज को बरकरार रखने के लिए बीजेपी (BJP) ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाने में लगी है. बीजेपी  पांच प्रतिशत तक वोट अपने पक्ष में स्विंग (Vote Swing) करने की रणनीति बनी रही है. इसकी के तहत पिछले कुछ माह में ही अलग-अलग वर्ग के प्रभावशाली नेताओं, रिटायर्ड अफसरों, ब्यूरोक्रेट्स और सामाजिक संगठनों (Social Organization) के करीब 90 प्रमुख लोगों को पार्टी में शामिल किया है और इससे ज्यादा आने वाले दिनों में शामिल हो सकते हैं. बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव का सबसे ज्यादा सकारात्मक पहलू यही है कि सीपी जोशी के पदभार संभालने के बाद कई नए-नए प्रभावशाली लोग बीजेपी से जुड़ रहे हैं. किसी भी गुट में न होने के चलते उनकी लगातार कोशिश ज्यादा से ज्यादा प्रमुख लोगों को पार्टी से जोड़ने की है.

राजस्थान में इस बार के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. दरअसल, इस साल बजट के बाद से ही सत्ताधारी कांग्रेस ने जिस तेजी से वोटर कनेक्ट पॉलिसी पर काम किया है और सरकारी योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाया है, इसको देखते हुए बीजेपी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने को मजबूर कर दिया है. यही वजह है कि बीजेपी सिर्फ कांग्रेस की एंटीइंकबेंसी के भरोसे न रहकर पार्टी को राजस्थान के रण में सत्तारूढ़ कराने के लिए वोट स्विंग कराने की रणनीति पर पूरी ताकत लगा रही है.

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विरोधी दलों में सेंध लगाने पर भी है पूरा जोर
इसी रणनीति पर चलते हुए जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, पार्टी का पूरा जोर विरोधी दलों में सेंध लगाकर उनके नेताओं को तोड़ने और सामाजिक हैसियत रखने वाले रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, सामाजिक संगठनों के नेताओं और जातिगत वोट बैंक पर पैठ रखने वालों को खुद के पक्ष में करने पर हो गया है. बदली हुई रणनीति के तहत कांग्रेस से तोड़कर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया से लेकर पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के पुत्र ओम प्रकाश पहाड़िया को भाजपा जॉइन कराना इसी रणनीति का हिस्सा है.

सी और डी कैटेगरी की सीटों पर पार्टी का ज्यादा फोकस
बीजेपी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने से पहले उन कमजोर कड़ियों की रिपेयरिंग करने में जुटी है, जहां पिछले चुनाव में वोट शेयरिंग के लिहाज से कांग्रेस के मुकाबले उसकी हालत पतली रही थी. बीजेपी नेतृत्व ने प्रदेश इकाई को जाति-समुदायों को साधने पर पूरा जोर लगाने के लिए कहा है ताकि ‘डी’ और ‘सी’ कैटेगरी की सीटों पर चुनाव का परिणाम पार्टी के पक्ष में किया जा सके. खासकर डी कैटेगरी में 19 सीटें शामिल हैं, जहां भाजपा पिछले तीन चुनाव से लगातार हार रही है जबकि सी कैटेगरी में दो बार हारी हुईं 76 सीटें शामिल हैं. इनमें पूर्वी राजस्थान, शेखावाटी और मारवाड़ क्षेत्र की सीटें ज्यादा हैं.

पहले एक चौथाई सीटों पर समीकरण सुधारने की कवायद
खासकर एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. करीब 50 सीटों पर समीकरण सुधारने के लिए 35 रिटायर्ड अफसर और विभिन्न दलों-संगठनों के 55 प्रभावशाली नेताओं को जोड़ा है. इससे ज्यादा अफसर और नेता बीजेपी में आने की कतार में बताए जा रहे हैं. रिटायर्ड अफसरों में आईपीएस, आईएएस, आयकर, ज्यूडिशियरी समेत अलग-अलग सेवाओं के अफसर शामिल हैं. इसके अलावा नेताओं में कांग्रेस, बसपा, आरएलएपी से चुनाव लड़ चुके लीडर सहित कुछ ऐसे भी हैं जो पिछली बार भाजपा छोड़कर चले गए थे. सीपी जोशी और अन्य नेता इनकी घर वापसी कराकर पार्टी को मजबूती देने में जुटे हैं.

वोट स्विंग के कराए सर्वे पर बीजेपी का एक्शन प्लान
पार्टी थिंक टैंक के निर्देश पर भाजपा ने पिछले दिनों प्रदेश की हर सीट पर प्रभावशाली जातियों और इंफ्लुएंसर्स की रिपोर्ट तैयार की है. वोट स्विंग कराने के लिए करवाए गए इस सर्वे के आधार पर अब भाजपा ग्राउंड पर काम कर रही है. सर्वे में पता लगाया गया था कि किस सीट पर चुनावी समीकरण पलटने के लिहाज से किस जाति और किस प्रमुख व्यक्ति का असर है? साथ ही यह भी खोजबीन हुई थी कि किस सीट पर दूसरी पार्टियों में कौन-कौन स्थानीय नेता असंतुष्ट है?

इन सीटों पर पार्टी खुद को मजबूत करने में जुटी
अब इस रिपोर्ट के आधार पर भाजपा प्रमुख जातिगत नेताओं को पार्टी से जोड़कर खुद को मजबूत और विरोधियों को कमजोर करने में जुटी हुई है. इन नेताओं, अफसरों और समाजों के प्रभावशाली लोगों को पार्टी से जोड़कर करीब एक चौथाई सीटों पर कुछ वोट स्विंग कराने की रणनीति है. इनमें जमवारामगढ़, वैर, लक्ष्मणगढ़, विराटनगर, कोटपूतली, उदयपुरवाटी, बस्सी, थानागाजी, सपोटरा, कठूमर, बानसूर, अलवर ग्रामीण, खंडेला, डूंगरगढ़, सिरोही, आदर्शनगर, जोधपुर, भोपालगढ़, गंगापुरसिटी, निवाई, भादरा, बगरू, राजाखेड़ा, डेगाना, सुजानगढ़, खींवसर जैसी कमजोर सीटें शामिल हैं.

Tags: Ashok gehlot, Congress Government, Jaipur news, Rajasthan bjp

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