केले के वेस्ट से तैयार होगी थाली, ग्लास व कटोरी! युवा वैज्ञानिक का प्रयोग सफल

सत्यम कुमार/भागलपुर. केला हमारे यहां काफी शुद्ध माना जाता है. इसका फल, पत्ता, पौधा का उपयोग पूजा से लेकर अन्य जगहों में होता है. पर अब केले से पत्ता, ग्लास और थाली बनेगा. इसका सफल प्रयोग भागलपुर के युवा वैज्ञानिक गोपाल कुमार ने किया है. उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है. यहां लोग कृषि पर अधिक निर्भर रहते हैं. लेकिन किसानों की स्थिति हमेशा दयनीय बनी होती है. उसे उसके उत्पादन का सही कीमत नहीं मिल पाता है.

भागलपुर का नवगछिया इलाका केलांचल के नाम से जाना जाता है. क्योंकि यहां केले की खेती अधिक होती है. आपको बता दें कि पेड़ से केले काटने के बाद वह पेड़ बेकार हो जाता है. लेकिन अब केले के किसानों की किस्मत बदलने वाली है. अब किसानों को केले के बेकार पड़े पौधों से भी पैसे मिलेंगे.

सबसे पहले केले के थंब से बिजली का किया था उत्पादन
नवगछिया के रहने वाले युवा साइंटिस्ट गोपाल कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमने शुरुआत केले के प्रयोग से ही किया है. क्योंकि बचपन से ही मैं नवगछिया में रहा था. जब भी कभी केले के बारे में सोचता तो लगता था कि किसानों को सिर्फ उसके फल का पैसा मिल पाता है. इसका पौधा बेकार पड़ जाता है. वहीं अगर गेहूं मक्के की बात करें तो उसके पौधे को लोग जानवर को चार के रूप में खिलाते हैं. तो उसका भी पैसा उन्हें मिल जाता है.

तभी मैंने सबसे पहले केले के थंब से बिजली का उत्पादन किया था. उसके बाद जब मुझे वहां से सफलता मिली तो धीरे-धीरे केला पर काम करने लगा.

जल्द ही बड़े पैमाने पर लगेगा इसका प्लांट
अभी हमने केले के वेस्ट थंब से ग्लास, कटोरी, थाली सहित कई तरह की सामग्री को बना रहा हूं. इसको ट्रायल के रूप में अभी बनाया हूं. जल्द ही बड़े पैमाने पर इसका प्लांट लगाऊंगा. सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है. संभवत अगले वर्ष प्लांट लगना शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि केले को जब पौधे से निकाल लेते हैं, तो वह पौधा पूरी तरह से सूख जाता है. उस सूखे हुए पौधे में पल्प निकलता है. उस पल्प से हम लोग यह सारा सामान तैयार करते हैं.

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पर्यावरण के लिए है फायदेमंद
यह पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है और किसानों के लिए काफी फायदेमंद भी है. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वज केले के पत्ते पर भोजन किया करते थे. लेकिन अब केले के वेस्ट से बने थाली में लोग भोजन कर पाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने उस पल्प से पॉलिथीन भी तैयार किया है. जो पूरी तरीके से घुलनशील है. उसने बताया कि यह पॉलिथीन पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होगा. यह सारी चीज जल्दी मार्केट में उतर जाएगी.

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