केले की खेती के लिए बड़ा घातक है यह रोग, फसल को कर देता है बर्बाद, वैज्ञानिकों से जानें कैसे करें बचाव?

रितेश कुमार/समस्तीपुर: किसान आमतौर पर धान गेहूं मक्का एवं अन्य प्रकार की फसल को छोड़कर अब केले की फसल की ओर रुख कर रहे हैं. किसान का यही उत्साह है जो आज अधिक से अधिक किसान केले की बागवानी लगा मुनाफा कमा रहें हैं. परंतुकेले के फसल में लगने वाला ब्लैक सिगाटोका रोग सबसे घातक रोग माना जाता है. यह केले की पंक्तियों पर लगने वाला लीफ स्टॉप एक धब्बानुमा रोग है. इससे दुनिया भर के कई देशों में केले की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. भारत की बात करें तो यहां के भी लगभग सभी केला उत्पादक क्षेत्र से जुड़े केले के बागों में यह रोग प्रमुखता से लगता है. इस रोग के लगने के बाद केले की पंक्तियां मर जाती है. जिससे फसलों की उपज में भारी कमी आती है. फलों के गुच्छे मिश्रित हो जाते हैं. और समय से पहले फल पक जाते हैं. जिससे किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है.

दो तरह का होता है रोग, ऐसे करें बचाव

पूसा डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के सह निदेशक अनुसंधान एवं अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉक्टर संजय कुमार सिंह ने कहा कि केले की फसल में लगने वाले रोग दो तरह का होता है. काला (ब्लैक) सिगाटोका एवं पीला (येलो) सिगाटोका. ब्लैक सी धातु का दुनिया भर के कई देशों से जुड़े केले के बागों के लिए एक महत्वपूर्ण रोग है. यह रोग केले का एक रोग है. जो फंगस स्यूडोसेक्रोस्पोरा फिजिएंसिस के कारण होता है. इसे ब्लैक लिफ स्ट्रीक बीएलएस रोग नाम से भी जानते है. किसान इन फसल को इस रोग से बचने के लिए अपने खेतों में लगे केले के पौधे के पत्ता रोग से ग्रसित होने के बाद उन पत्ते को काटकर अपने खेतों से बाहर निकाल दें, जिससे इस रोग से बचाव हो सके.

विश्व के कई देश के किसान हैं परेशान

वैज्ञानिक ने बताया कि केले में लगने वाला यह ब्लैक सिगाटोका रोग सभी प्रमुख केला उत्पादक देशों में मौजूद है. उन्होंने बताया कि यह रोग खासकर दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, चीन, दक्षिण प्रशांत द्वीप समूह, पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई), ग्रेनेडा (कैरेबियन), त्रिनिदाद और मध्यम और दक्षिण अमेरिका में व्यापक रूप से केले के फल को नुकसान पहुंचा रहा है. इतना ही नहीं इसके अलावा यह रोग पापुआ न्यू गिनी और सुरेश जलडमरूमध्य के कई द्वीपों से जुड़ी क्षेत्र में भी पाया जाता है.

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