केरल, कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार के स्कूलों में भी बजने लगा है वॉटर बेल

नीरज कुमार, बेगूसराय: बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छुपी हुई नहीं है. इन दिनों केके पाठक के नए-नए आदेश की वजह से शिक्षा व्यवस्था में बदलाव का दावा किया जा रहा है. इन सब के बीच बिहार में एक ऐसा भी विद्यालय है, जो अपनी अलग पहचान बना रहा है. इस विद्यालय में एक नहीं पहल की गई है. जिसके तहत यहां वॉटरबेल की भी घंटी बजती है. बिहार में अब यह चर्चा का विषय बन गया है और इसकी तारीफ भी हो रही है.जी हां हम बात कर रहे हैं बेगूसराय जिला के मध्य विद्यालय बिहट की. जहां दक्षिण भारत के राज्यों के बाद अब बिहार के इस स्कूल में वॉटर बेल बजाता है.

पहली बार बेगूसराय के किसी सरकारी स्कूल में बच्चों में समय पर पानी पीने की आदत को विकसित करने की कावयद की जा रही है. इसके लिए तीन बार वाटर बेल बजाया जाता है. एक पीरियड के समाप्त होने और दूसरे के शुरू होने पर स्कूल में घंटी तो बजती ही है, उसी प्रकार अब पानी पीने के लिए भी स्कूल में घंटी की गूंज सुनाई दे रही है. बच्चे अपनी इच्छानुसार थोड़ा ही सही पर पानी जरूर पी रहे हैं.

बच्चों की परेशानी पर विद्यालय टीम ने किया रिसर्च
मध्य विद्यालय बीहट में वॉटर बेल के प्रभारी अनुपमा सिंह और विद्यालय के प्रिंसिपल रंजन कुमार ने बताया कि इस विद्यालय में रोजाना 180 बच्चे पढ़ाई के लिए आते हैं. वर्ग द्वितीय से अष्टम तक में 13 वर्ष उम्र तक के बच्चे शिक्षा पाने के लिए जब आते हैं थे तो प्रार्थना में बेहोश हो जाते थे. इसके अलावा विद्यालय में पढ़ाई के दौरान कई बच्चे पानी पीने के नाम पर दो-दो मिनट छुट्टी भी लेते थे.

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वहीं कई बच्चे अपना कीमती समय पढ़ाई के बदले बाहर में बिता रहे थे. ऐसे में इन सारी समस्याओं का समाधान वॉटर बेल निकाला. अब रोजाना इस विद्यालय में तीन बार वॉटर बेल की घंटियां बजती है. बच्चों को पानी पीने और याद दिलाने के लिए दिन में 3 बार तीसरी, पांचवी और सातवीं घंटी के बाद बेल बेल बजाया जाता है. केरल, कर्नाटक व तेलंगाना के बाद बिहार देश का ऐसा चौथा राज्य है, जहां सरकारी विद्यालयों में वॉटर बेल को चालू किया गया है.

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सभी बच्चों को पता है वॉटर बेल के फायदे
विद्यालय के बच्चों ने बताया कि अनुपमा मैडम के द्वारावॉटर बेल बजाकर बच्चों को पानी पीने के सही तरीके और फायदों से परिचित करवाया गया है. डिहाइड्रेशन से दूर रखने और शरीर में समुचित जल व ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के उद्देश्य से ऐसा हो रहा है वॉटर बेल बजने के बाद सभी बच्चों को अपनी जगह पर बैठकर हीं पानी पीना होता है. स्कूल प्रबंधन इस प्रक्रिया को रोज बच्चों से फॉलो कराता है.

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