सच्चिदानंद/पटना. कंधे पर रंग बिरंगी बैग लटकाए छात्र-छात्राओं से गुलजार रहने वाला पटना का बाजार समिति और आस पास का इलाका अब एकदम शांत हो गया है. एक समय था जब पुरे दिन सड़कों पर स्टूडेंट ही स्टूडेंट दिखाई देते थे लेकिन अब यह तस्वीर कहीं गुम सी हो गई है. पटना का बाजार समिति, बोरिंग रोड, मछुआ टोली, नया टोला सहित आस पास का इलाका जहां पूरे बिहार से विधार्थी कोचिंग करने के लिए आते थे. दिन भर अलग अलग बैच में स्टूडेंट्स पढ़ाई करते थे. सड़कों पर दिन भर कोचिंग से आते जाते विद्यार्थी ही देखने को मिलते थे. लेकिन सालों से चलता आ रहा है यह सिलसिला अब थम सा गया है.
एक समय ऐसा भी था जब जिन कोचिंग में बैठने के लिए जगह नहीं होती थी लेकिन अब एक ऐसा समय है जब यहां कोई बैठने वाला नहीं है. गिने चुने विद्यार्थी ही बच गए हैं. कोचिंग संस्थानों के बोर्ड और क्लास में धूल जमने लगे हैं. यह सब हुआ है शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के एक आदेश से. एक ऐसा आदेश जिसकी वजह से कोचिंग संस्थान के लोग दिन भर बैठ मक्खी मार रहे हैं.
क्या था केके पाठक का आदेश?
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पिछले दिनों यह आदेश दिया कि सरकारी स्कूल के समय के दौरान कोई भी कोचिंग संस्थान संचालित नहीं की जा सकती है. दूसरी तरफ बिहार सरकार के सभी स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया गया है. इससे जो छात्र-छात्राएं पटना में रहकर कोचिंग करते थे वो सभी अपने घर लौटने लगे. साथ ही 10 बजे से 4 बजे तक कोचिंग वाले क्लास नहीं लगा सकते हैं. इस वजह से कोचिंग सस्थानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
60 फीसदी छात्रों ने छोड़ा पटना
बाजार समिति में ग्यारहवीं और बारहवीं की कोचिंग देने वाले बड़े संस्थानों में से एक मगध साइंस कोचिंग के डायरेक्टर पंकज सर ने बताया कि कोरोना में जब सभी स्कूल बंद थे तब कोचिंग से ही पढ़ कर बिहार बोर्ड का रिजल्ट अच्छा आया. आज सरकार के इस फैसले से अधिकतर बच्चे घर चले गए हैं. कुछ पटना के बच्चे हैं तो उन्हें सुबह 6 से 9 बजे तक और शाम 4:30 से 9 बजे तक क्लास लगाया जा रहा है. लेकिन इतनी सुबह स्टूडेंट्स नहीं आ पाते हैं. 8 बजे के बाद भी स्टूडेंट्स नहीं आ पाते हैं. जिससे भारी नुकसान देखने को मिल रहा है. इस नतीजा यह हो रहा है कि अब कोचिंग से कर्मचारियों की कटौती भी करना पड़ रहा है.
कोचिंग संस्थानों पर मंडराया आर्थिक संकट
इंजीनियरिंग, मेडिकल और बोर्ड की तैयारी कराने वाले स्मृति जुपिटर के मैनेजमेंट का कहना है अब सिर्फ टारगेट बैच की ही पढ़ाई हो रही है. बाकी बोर्ड एग्जाम वालों के बैच को रोक ही दिया गया है. आदेश के अनुसार कोचिंग की टाइमिंग में भी बदलाव हुआ है. सुबह और शाम में ही सिर्फ क्लास लग रही है. आर्थिक रुप से संकट मंडराने लगा है.
बिहार छोड़ सकते है बड़े कोचिंग संस्थान
प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों पर इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. गुरु रहमान हों या खान सर सबकी क्लासेज दिन भर धड़ल्ले से चल रही है. इसपर गुरु रहमान ने तो साफ कह दिया कि केके पाठक के इस फैसले का भविष्य में घातक परिणाम निकलने वाला है. यह विद्यार्थियों के लिए बेहद नुकसानदायक है. मैं इस फैसले के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हूं. अगर ऐसा ही रवैया रहा तो कोचिंग संस्थान बिहार छोड़ कर दूसरे राज्य में पढ़ाने लगेंगे. बेंच और बोर्ड नहीं लोग शिक्षक को पसंद करते हैं. केके पाठक के इस आदेश को मैं कतई मानने को तैयार नहीं हूं. यूं तो मेरे पास सभी ग्रेजुएट आते हैं लेकिन अगर केके पाठक इससे आगे बढ़ते हैं तो या तो आत्मदाह कर लूंगा, नहीं तो करवा दूंगा.दूसरी ओर खान सर भी दिन भर लगातार पढ़ा रहे हैं. केके पाठक के इस फैसले से छोटे कोचिंग संस्थान खास तौर पर इंटरमीडिएट की पढ़ाई कराने वाले आर्थिक तंगी से जूझेंगे तो वहीं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराने वालों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2023, 10:31 IST