केके पाठक के इस्तीफे से कहीं खुशी तो कहीं गम, इन फैसलों से मचाया था हड़कंप!

विशाल कुमार/छपरा. शिक्षा विभाग के अधिकारी IAS केके पाठक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बिहार में वैसे तो राजनीति की खबर टॉप पर रहती है, लेकिन आज जब से केके पाठक के इस्तीफा देने की खबर चर्चा में आई, शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों के अलावा भी अन्य लोगों में यह चर्चा का विषय बन गया. इस्तीफे को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है. ऐसे में हमने छपरा के कुछ शिक्षकों से इस घटनाक्रम पर कुछ बात करने की कोशिश की, तो शिक्षकों ने श्री पाठक के कार्यकाल की जमकर सराहना की. कई शिक्षकों ने बताया कि उनके आने से कई शिक्षक-शिक्षिकाओं को नौकरी मिली, जो सराहनीय कदम था.

याद किए जाएंगे केके पाठक
शिक्षक चंदन कुमार सिंह ने बताया कि केके पाठक का काम बहुत अच्छा था. उन्होंने कहा कि श्री पाठक के स्कूलों के निरीक्षण से लोगों के मन में वर्षों से बैठा भ्रम दूर हो गया कि शिक्षक स्कूल में नहीं रहते हैं. नहीं तो लोग पहले कहते थे कि शिक्षक स्कूल जाते ही नहीं हैं. शिक्षक चंदन सिंह ने कहा कि पहले देखा जाता था कि हर स्कूल में शिक्षकों की कमी थी. इस कमी को उन्होंने पूरा करवाया. उन्हें बिहार के शैक्षणिक इतिहास में अच्छे अधिकारी के रूप में याद किया जाएगा. शिक्षक कुंदन कुमार ने कहा कि श्री पाठक का इस्तीफा देना उनका निजी मामला है. उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी शिक्षक और छात्रों के बीच रिश्ता अच्छा था. लेकिन उनके द्वारा कुछ दिखाने के लिए यह सब किया जा रहा था.

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शिक्षक समुदाय में बना था भेदभाव का माहौल
शिक्षक मो. वलीउल्लाह ने कहा कि विभाग में आना-जाना सभी को है, लेकिन केके पाठक ने अपनी जिम्मेदारी से ज्यादा सियासत की. मो. वलीउल्लाह ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म के शिक्षकों का पर्व त्यौहार पर छुट्टी काट लेना यह भी उनका फैसला गलत था. उन्होंने शिक्षकों में भी भेदभाव का माहौल बना दिया. हालांकि, उन्होंने जो बहाली कराई, वह काबिले तारीफ है. लेकिन पहले से नियोजित शिक्षकों का मामला हल नहीं किया गया, बल्कि और उलझा कर चले गए. जो अधिकारी अब आए हैं, उनसे उम्मीद है.

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