केंद्रीय मंत्री किसानों से करेंगे बातचीत, मार्च में शामिल होने के लिए निकलीं ट्रैक्टर-ट्रॉलियां

हरियाणा के प्राधिकारियों ने 13 फरवरी को किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोकने के लिए अंबाला, जींद, फतेहाबाद और कुरूक्षेत्र में कई स्थानों पर पंजाब के साथ लगती राज्य की सीमा की कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कील और कंटीले तार लगाकर किलेबंदी कर दी है.

हरियाणा सरकार ने भी आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिए हैं. इन जिलों में पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन करने या ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मार्च निकालने पर प्रतिबंध है.

संयुक्त किसान मोर्चा ( एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के वास्ते कानून बनाने सहित कई मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 200 से अधिक किसान संगठन 13 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करेंगे.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ उनकी मांगों को लेकर दूसरे दौर की बातचीत करने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ पहुंचने वाले हैं. बैठक शाम पांच बजे सेक्टर 26 स्थित ‘महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन’ में होगी.

किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने सोमवार को कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक काफिला सुबह अमृतसर के ब्यास से निकला, जो फतेहगढ़ साहिब जिले में एकत्र होगा. मोगा, बठिंडा और जालंधर जिलों के कई किसान भी मार्च में शामिल होने के लिए अपने गांवों से निकल पड़े हैं.

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉली सोमवार शाम को फतेहगढ़ साहिब जिले और संगरूर के मेहलन चौक पर इकट्ठा होंगी. राष्ट्रीय राजधानी में 13 फरवरी को किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है तथा यातायात पाबंदियां लागू की गयी हैं. किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों की पहली बैठक आठ फरवरी को हुई थी.

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय” की भी मांग कर रहे हैं.

किसानों ने अंबाला-शंभू बॉर्डर, खनौरी-जींद और डबवाली बॉर्डर से दिल्ली जाने की योजना बनाई है. डल्लेवाल ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर भारी सुरक्षा व्यवस्था करने और ‘दिल्ली चलो’ मार्च में शामिल होने के इच्छुक किसानों को कथित तौर पर ‘परेशान’ करने के लिए हरियाणा सरकार की आलोचना की.

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत कर रही है और इसके बावजूद पंजाब-हरियाणा सीमा पर भारी अवरोधक लगाए गए हैं. प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर हरियाणा पुलिस को अलर्ट पर रखते हुए राज्य प्राधिकारियों ने सड़कों पर कंक्रीट के अवरोधक एवं कंटीले तार लगाए गए हैं और दंगा-रोधी वाहन तैनात किए हैं.

पुलिस ने जींद, फतेहाबाद, कुरूक्षेत्र और सिरसा जिलों में पंजाब के साथ लगती हरियाणा की सीमा पर भी व्यापक इंतजाम किए हैं. अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में इंटरनेट सेवाएं और बड़ी संख्या में एसएमएस करने की सुविधा 13 फरवरी तक निलंबित कर दी गई है.

हरियाणा पुलिस ने यातायात परामर्श जारी किया है, जिसमें यात्रियों से वैकल्पिक मार्ग अपनाने और उसी के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाने को कहा गया है. पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान 2020 में शंभू बॉर्डर पर एकत्र हुए थे और उन्होंने दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस अवरोधकों को हटा दिया था. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं – सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर एक साल तक धरना दिया था.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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