अरशद खान/ देहरादून.उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल की रहने वाली सुषमा बहुगुणा चिप्स और कुरकुरे के खाली पैकेट से सुंदर टोकरी और डस्टबिन तैयार कर रही हैं. सुषमा बहुगुणा ने ग्रामीण क्षेत्र की कई महिलाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें रोजगार मुहैया कराया है. खास बात है कि सुषमा ने यह खुद अपनी इच्छा शक्ति और सामर्थ्य के बल पर किया है. इसके अलावा वह गाय के गोबर से धूपबत्ती भी बनाती हैं. उन्होंने मांग की है कि सरकार या अन्य समाजसेवी संस्थाएं उनके जैसी तमाम ग्रामीण महिलाओं को भी मंच प्रदान करें, जो अपने स्वयं के बलबूते पर स्वरोजगार को अपना रही हैं.
Local 18 से बातचीत में सुषमा बहुगुणा ने कहा कि वह 2014 में उन्होंने धूप व अगरबत्ती बनाने से स्वरोजगार की शुरुआत की थी. उसके कुछ समय बाद उन्होंने चिप्स, कुरकुरे के खाली पैकेट और कांस की घास से टोकरी और डस्टबिन बनाने शुरू कर दिए. उन्होंने बताया कि वह रानी चोरी टिहरी गढ़वाल की रहने वाली हैं. उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ते हुए उन्होंने 500 से अधिक महिलाओं को टोकरी बनाना, धूप व अगरबत्ती बनाना सिखाया. अब वह महिलाएं 6 से 7 हजार रुपये प्रति माह कमा रही हैं.
कैसे तैयार होता है वेस्ट से बेस्ट?
सुषमा ने कहा कि वह वेस्ट से बेस्ट बनाती हैं. चिप्स और कुरकुरे के पैकेट ऐसे ही आसपास सड़कों व नालियों में पड़े रहते हैं, जिनका इस्तेमाल कर वह घरों में उपयोग होने वाली टोकरी और डस्टबिन तैयार कर रही हैं. इसके अलावा गाय के गोबर से सुगंधित धूपबत्तियां भी बनाती हैं. ये सभी चीजें वेस्ट हैं और तकनीक का इस्तेमाल कर ये बेस्ट हो जाती हैं, इसलिए वह इसे वेस्ट से बेस्ट बनाना कहते हैं. उन्होंने टिहरी में ही अपना एक स्मॉल सेटअप तैयार किया है, जहां पर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है और इन प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग का काम किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : February 25, 2024, 10:27 IST