अनुज गौतम/सागर: कहते हैं कर्म इंसान का पीछा नहीं छोड़ते. लेकिन, कर्मों का प्रभाव जानवरों पर भी होता है. इसकी एक बानगी सागर में दिखी. यहां कुत्ते पर भक्ति का रंग ऐसा चढ़ा कि वह बाबा का चेला बन गया. सागर के कुछ गांवों में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मकर संक्रांति पर 28 गांव के लोग नर्मदा जल लेने के लिए होशंगाबाद गए थे. नर्मदा जल लेकर सभी पैदल यात्रा करते हुए लौट रहे थे.
इसी दौरान रास्ते में लोगों के साथ एक कुत्ता भी चलने लगा. वे जहां रुकते वो कुत्ता भी वहीं ठहरता. जहां रात में पड़ाव लेते कुत्ता भी वहीं सोता. लोगों ने उस कुत्ते को भगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने साथ नहीं छोड़ा. इसके बाद कावड़ियों ने कुत्ते को माला पहना दी और टीका लगाकर अपनी मंडली में शामिल कर लिया. वे उसे खिलाने-पिलाने लगे. कुत्ते ने उनके साथ करीब 250 किलोमीटर की पैदल यात्रा की. गांव वालों ने निर्णय लिया कि अब यह कुत्ता सिद्ध धाम मंगला ठाकुर बाबा में भगवान का चेला बनकर रहेगा. जहां भक्तों का स्वागत होता है, वहां अब उसे कुत्ते का भी स्वागत किया जा रहा है.
28 गांव के लोग नर्मदा जल लेकर आए
बता दें कि सागर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित माल्थोन ब्लॉक के तहत आने वाले करीब 28 गांव के लोग 16 सालों से नर्मदा जल लेने के लिए मकर संक्रांति के अवसर पर नर्मदा के घाटों पर जाते हैं. इसी तारतम्य में इस बार 122 लोग ट्रैक्टर ट्राली से होशंगाबाद के नर्मदा घाट पहुंचे थे. वहां से नर्मदा जल लेने के बाद पैदल यात्रा करते हुए गांव वापस लौट रहे हैं. करीब 16 साल पहले सुमेरदास महाराज महात्यागी ने श्रद्धालुओं को पवित्र नदियों का जल लाने कांवड़ यात्रा की सलाह दी थी. तभी से कभी अमरकंटक, कभी बरमान से जल लाकर सिद्ध स्थल पर बड़ा आयोजन होता है. इस बार लोगों ने नर्मदापुरम होशंगाबाद जाने का निर्णय लिया था.
गांव में हुआ स्वागत
13 जनवरी को धनी धरमदास महात्यागी महाराज के निर्देशन में 28 गांव के करीब डेढ़ सौ लोग ट्रैक्टर ट्रॉली से निकले थे. 14 जनवरी को सभी लोग होशंगाबाद पहुंच गए. 15 जनवरी को मकर संक्रांति के मौके पर होशंगाबाद के प्रसिद्ध सेठानी घाट पर सभी ने स्नान किया. इसके बाद क्षेत्र की खुशहाली के लिए पूजा की. वहां से सभी 300 किमी की पैदल यात्रा कर खुरई होते हुए अपने गांव वापस लौटे. कांवड़ यात्रियों के आने की खबर लगते ही ग्रामीणों ने नर्मदा जल का स्वागत किया और कांवड़ में शामिल श्रद्धालुओं को फूल मालाएं पहनाकर पुष्प वर्षा की.
महाशिवरात्रि पर नर्मदा जल से अभिषेक
कांवड़ यात्रा आयोजक धनी धर्मदास महात्यागी महाराज ने बताया कि कावड़ में लाया गया जल बंगेला के ठाकुर बाबा मंदिर में रखा जाएगा. इसके बाद मंदिर परिसर में 29 फरवरी से 14 मार्च तक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें महाशिवरात्रि पर आयोजित किए जाने वाले शिवलिंग निर्माण में कांवड़ जल का उपयोग कर पूजन और मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 16:24 IST